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22 वर्षीय प्रिंस बामल: भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने की प्रेरणादायक यात्रा

22 वर्षीय प्रिंस बामल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर न केवल अपने परिवार का नाम रोशन किया है, बल्कि पूरे हिसार जिले के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं। उनकी यात्रा, जो उनके दादा के सपने से शुरू हुई, कठिन परिश्रम और समर्पण का एक अद्वितीय उदाहरण है। जानें कैसे प्रिंस ने एनडीए की परीक्षा पास की और भारतीय सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण प्राप्त किया। उनकी कहानी हरियाणा के युवाओं को प्रेरित करने का कार्य कर रही है।
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22 वर्षीय प्रिंस बामल: भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने की प्रेरणादायक यात्रा

प्रिंस बामल का अद्वितीय सफर

प्रिंस बामल लेफ्टिनेंट: हिसार का गौरव बढ़ाने वाला युवा: 22 वर्षीय प्रिंस बामल ने भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर हिसार जिले का नाम रोशन किया है। भाटोल जाटान गांव के निवासी प्रिंस ने न केवल अपने परिवार को गर्वित किया है, बल्कि पूरे क्षेत्र के लिए प्रेरणा का स्रोत भी बने हैं।


उनकी यह उपलब्धि युवाओं के लिए एक प्रेरणा बन गई है। देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड के दौरान प्रिंस ने लेफ्टिनेंट की वर्दी धारण की। इस लेख में हम उनकी प्रेरणादायक यात्रा, उनके दादा के सपने और देशसेवा के प्रति उनके जज्बे पर चर्चा करेंगे।


दादा का सपना और प्रिंस की मेहनत

प्रिंस बामल ने अपने दादा के सपने को साकार किया, जो चाहते थे कि उनका कोई पोता भारतीय सेना में शामिल होकर देश की सेवा करे। प्रिंस ने मात्र 19 वर्ष की आयु में एनडीए (NDA) की कठिन परीक्षा पास की और पुणे में एनडीए तथा देहरादून में भारतीय सैन्य अकादमी (IMA) में कठिन प्रशिक्षण प्राप्त किया।


प्रिंस ने बताया कि उनकी सफलता के पीछे उनके माता-पिता और शिक्षकों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। विशेष रूप से उनके पिता विक्रम बामल की प्रेरणा ने उन्हें इस मुकाम तक पहुंचाया। प्रिंस की मेहनत ने उनके दादा के सपने को हकीकत में बदला।


प्रिंस की पहली पोस्टिंग और गर्व का पल

भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनने के बाद प्रिंस बामल की पहली पोस्टिंग एक फ्रंटलाइन यूनिट में हुई है, जहां वे साहस और अनुशासन के साथ देश की सेवा करेंगे।


प्रिंस की इस उपलब्धि पर उनके पिता विक्रम ने कहा, “हमें अपने बेटे पर गर्व है, उसने हमारा सिर ऊंचा किया।” प्रिंस ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिवार और शिक्षकों को दिया है। उनकी इस उपलब्धि ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे गांव को गर्वित किया है। ग्रामीणों का मानना है कि प्रिंस की कहानी युवाओं को प्रेरित करेगी।


युवाओं के लिए प्रेरणा और भविष्य

प्रिंस बामल की कहानी हरियाणा के युवाओं के लिए एक मिसाल है। उनकी मेहनत और समर्पण ने यह साबित किया है कि कठिन परिश्रम से कोई भी सपना साकार हो सकता है।


भाटोल जाटान गांव के लोग प्रिंस को प्रेरणास्रोत मानते हैं। उनकी उपलब्धि से क्षेत्र के युवा प्रोत्साहित हो रहे हैं। यह कहानी न केवल व्यक्तिगत सफलता की है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि देशसेवा का जज्बा कितना महत्वपूर्ण है। प्रिंस की इस उपलब्धि ने हिसार का नाम पूरे देश में गूंजाया है।