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A2 घी बनाम सामान्य घी: स्वास्थ्य लाभ और विशेषज्ञों की राय

क्या A2 घी सामान्य घी से बेहतर है? इस लेख में हम A1 और A2 घी के बीच के अंतर, उनके स्वास्थ्य लाभ और विशेषज्ञों की राय पर चर्चा करेंगे। जानें कि क्या A2 घी वास्तव में अधिक गुणकारी है या यह केवल एक मार्केटिंग रणनीति है। इस विषय पर वैज्ञानिक प्रमाणों की कमी और कंपनियों के दावों का विश्लेषण भी किया गया है।
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A2 घी बनाम सामान्य घी: स्वास्थ्य लाभ और विशेषज्ञों की राय

A2 घी का विज्ञान

भारतीय रसोई में देसी घी एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है, लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसे दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है? आमतौर पर चर्चा होती है कि घी गाय के दूध से है या भैंस के दूध से, लेकिन अब इसे A1 और A2 में वर्गीकृत किया गया है। A1 घी कम लाभकारी और प्रोटीन में कम होता है, जबकि A2 घी अधिक गुणकारी माना जाता है। आइए, इस विषय पर विशेषज्ञों की राय जानते हैं।


भारत में उपलब्ध घी के प्रकार

भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने कंपनियों को दूध और उससे बने उत्पादों को A1 और A2 लेबल के साथ बेचने की अनुमति दी है। इन दोनों के बीच का मुख्य अंतर उनकी कीमत में है। A1 घी की कीमत लगभग 1000 रुपये प्रति किलो है, जबकि A2 घी की कीमत 3000 रुपये प्रति किलो है।


A1 और A2 घी में क्या अंतर है?

A1 घी विदेशी गायों के दूध से बनाया जाता है, जबकि A2 घी भारतीय देसी गायों के दूध से प्राप्त होता है। A2 घी में बीटा कैसीन प्रोटीन की अधिकता होती है, जो इसे जल्दी पचने वाला और अमीनो एसिड का अच्छा स्रोत बनाता है। हालांकि, इस बात का कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है कि A2 घी वास्तव में अधिक फायदेमंद है।


विशेषज्ञों की राय

इंडियन डेरी एसोसिएशन के अध्यक्ष आरएस सोढी ने बताया कि दोनों प्रकार के दूध में प्रोटीन और फैटी एसिड होते हैं। इसलिए, किसी एक को बेहतर मानना उचित नहीं है। उन्होंने कहा कि घी एक फैट का स्रोत है जिसमें प्रोटीन भी होता है, लेकिन इसके स्वास्थ्य लाभों पर कोई ठोस शोध नहीं हुआ है।


डाइटिशियन डॉक्टर विभूति रस्तोगी ने इसे कंपनियों की मार्केटिंग रणनीति बताया और कहा कि जब तक कोई वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है, तब तक इसे सामान्य घी से अधिक फायदेमंद मानना सही नहीं है।


कंपनियों का दृष्टिकोण

कंपनियां A2 घी की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए यह दावा करती हैं कि इसका दूध देसी गायों से लिया जाता है और इसे पारंपरिक विधियों से निकाला जाता है।