प्रेग्नेंसी में गंभीर समस्या बन सकता है Hypertension, इन तरीकों से करें इसे मैनेज
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जब रक्तचाप 140/90 के पार हो जाता है तो यह उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन की श्रेणी में आता है। आमतौर पर हाइपरटेंशन की स्थिति में लोग तुरंत दवाएं लेना शुरू कर देते हैं। लेकिन अगर गर्भावस्था के दौरान उच्च रक्तचाप होता है तो सावधानी बरतनी चाहिए और डॉक्टर के निर्देशानुसार ही कोई भी उपाय करना चाहिए।
गर्भावस्था के दौरान होने वाले उच्च रक्तचाप को गर्भावधि उच्च रक्तचाप कहा जाता है। यदि हर 3 से 6 घंटे में रक्तचाप मापने के बाद भी रक्तचाप 140/90 से ऊपर बढ़ता रहे, तो इसे गर्भकालीन उच्च रक्तचाप माना जाना चाहिए। यह आमतौर पर गर्भावस्था के 20वें सप्ताह के बाद शुरू होता है। इस दौरान ठीक से निगरानी न करने और समय रहते उचित उपाय न करने से मां और बच्चे दोनों के लिए परेशानी हो सकती है। गर्भावधि उच्च रक्तचाप को पहचानना बहुत महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के लक्षण -
- लगातार सिरदर्द
- हाथ पैर, शरीर में सूजन
- अचानक से अनियमित वजन का बढ़ना
- आंखों से धुंधला दिखाई देना या डबल विज़न यानी एक ही चीज का दो दो बार दिखना।
- उल्टी और मितली
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन के खतरे-
- प्लेसेंटा में खून का बहाव कम होना
- बच्चे का विकास बाधित होना
- बच्चे के वजन का न बढ़ना
- मां के जरूरी अंगों का डैमेज होना
- प्रीमेच्योर डिलीवरी
- गंभीर मामलों में डेथ
जेस्टेशनल हाइपरटेंशन से बचाव
गर्भावस्था के दौरान यह कहना सही नहीं है कि खाना दो लोगों का खाना चाहिए। इसलिए, वजन को नियंत्रण में रखने के लिए उचित आहार चार्ट का पालन करें और स्वस्थ आहार बनाए रखें। अनियंत्रित वजन बढ़ने से जेस्टेशनल हाइपरटेंशन की समस्या भी बढ़ सकती है।
समय-समय पर अपनी प्रसव पूर्व देखभाल पर विशेष ध्यान दें। कुछ लोगों को गर्भावधि उच्च रक्तचाप होता है और उन्हें इसका एहसास भी नहीं होता है। इसलिए, अपने बीपी पर नजर रखें और डॉक्टर की निगरानी में रहें।
आपको गर्भावधि उच्च रक्तचाप है या नहीं, अपने आहार में नमक की मात्रा कम रखें।
योग और ध्यान के माध्यम से तनाव को प्रबंधित करें क्योंकि न चाहते हुए भी इस समय तनाव महसूस होना स्वाभाविक है। इसका उचित प्रबंधन करने की जरूरत है.