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बच्‍चा नहीं सुनता आपकी कोई बात तो ये पेरेंटिंग मिस्टेक हो सकती हैं जिम्मेदार, तुरंत सुधार लें आदत

बदलते समय ने न सिर्फ लोगों की जीवनशैली और खान-पान में बदलाव किया है, बल्कि आज बच्चों के पालन-पोषण के तरीके भी पहले की तुलना में पूरी तरह से बदल गए हैं।
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बच्‍चा नहीं सुनता आपकी कोई बात तो ये पेरेंटिंग मिस्टेक हो सकती हैं जिम्मेदार, तुरंत सुधार लें आदत

बदलते समय ने न सिर्फ लोगों की जीवनशैली और खान-पान में बदलाव किया है, बल्कि आज बच्चों के पालन-पोषण के तरीके भी पहले की तुलना में पूरी तरह से बदल गए हैं। हालाँकि, नए समय के साथ आने वाले कुछ बदलाव माता-पिता के लिए परेशानी का बड़ा कारण बनने लगे हैं। जी हां, आजकल ज्यादातर माता-पिता अपने बच्चों से शिकायत करते हैं कि वे जिद्दी हैं और अपने माता-पिता की बात भी नहीं सुनते। अगर आपको भी अपने बच्चे से यही शिकायत है तो बच्चे को दोष देने से पहले अपनी कुछ आदतों पर गौर करना शुरू कर दें। जी हां, कई बार माता-पिता की कुछ गलतियां बच्चे की जिद के लिए जिम्मेदार हो सकती हैं। शोध में पाया गया है कि किशोर बच्चों के माता-पिता अवज्ञा की सबसे अधिक शिकायत करते हैं। लेकिन बच्चे ऐसा तब करते हैं जब उनका अपने माता-पिता पर से भरोसा उठ जाता है। जिसके बाद बच्चे में माता-पिता की बात न मानने की आदत जन्म ले लेती है, आइए जानते हैं माता-पिता की वो कौन सी गलतियां हैं जिसके कारण बच्चे अपने माता-पिता की बात नहीं मानते।

बच्‍चा नहीं सुनता आपकी कोई बात तो ये पेरेंटिंग मिस्टेक हो सकती हैं जिम्मेदार, तुरंत सुधार लें आदत

डांटने की बजाय प्यार से समझाएं-
हर छोटी-छोटी बात पर बच्चे को डांटने की आदत छोड़ें। याद रखें, अगर आप बच्चों को ज्यादा रोकते-टोकते हैं तो वे और अधिक जिद्दी और शरारती हो जाते हैं। कुछ समय के लिए उसे जो करना है करने दो। जब बच्चे का मन भर जाएगा तो वह अपने आप उस काम को करना बंद कर देगा। अगर बच्चा किसी बात पर जिद कर रहा है तो उसे डांटने की बजाय प्यार से समझाएं।

बच्‍चा नहीं सुनता आपकी कोई बात तो ये पेरेंटिंग मिस्टेक हो सकती हैं जिम्मेदार, तुरंत सुधार लें आदत

ज़ोर से बोलना -
अपने बच्चे से कभी भी ऊंची आवाज में बात न करें। कई माता-पिता अपने बच्चों से हमेशा ऊंची आवाज में बात करते हैं। बार-बार ऐसा करने से बच्चा अंदर से आपसे डरने लगेगा। अगर आपका बच्चा किसी बात को लेकर आपसे नाराज है तो पहले उसके गुस्से को शांत होने दें और फिर प्यार से उसके गुस्से का कारण पूछें। आपका बच्चा कभी भी चिड़चिड़ा नहीं होगा और आपकी किसी भी बात को नजरअंदाज नहीं करेगा।

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अपने शब्दों का चयन सोच-समझकर करें-
बच्चों के साथ बुरे शब्दों का प्रयोग करने से वे आपसे दूर जाने लगते हैं और उनमें एक खराब आत्म-धारणा विकसित हो जाती है, जबकि सकारात्मक शब्द बच्चों को आत्मविश्वासी, खुश और अच्छा व्यवहार करने वाले बनने में मदद करते हैं। बुरे शब्दों का प्रयोग न करें, उदाहरण के लिए, 'तुम बहुत बुरे हो बच्चा', इसके बजाय आप बच्चे से कह सकते हैं 'अब तुम बड़े हो रहे हो'।

शिष्टाचार का पाठ जरूर पढ़ाएं-
बच्चे को समझाएं कि कृपया, धन्यवाद और आपका स्वागत है जैसे बुनियादी शिष्टाचार को दैनिक जीवन में क्यों इस्तेमाल किया जाना चाहिए। आपको स्वयं इन शब्दों का प्रयोग अपने नियमित जीवन में करना चाहिए। याद रखें, आप स्वयं जो भी कहते या करते हैं, बच्चे भी वही आपसे सीखते हैं और अपने दोस्तों के साथ भी वैसा ही व्यवहार करते हैं।