WHO की नई पहल: मोटापे की दवा Ozempic अब आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल

WHO का महत्वपूर्ण निर्णय
Ozempic Essential Medicines: WHO का बड़ा निर्णय: मोटापे की दवा Ozempic अब आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल, जानें क्या बदलाव आएगा!: नई दिल्ली: मोटापा अब केवल एक जीवनशैली की समस्या नहीं रह गया है, बल्कि यह एक गंभीर वैश्विक स्वास्थ्य संकट बन चुका है। इस दिशा में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है।
WHO ने पहली बार मोटापे की दवाओं को अपनी आवश्यक दवाओं की सूची (EML) में शामिल किया है। इस सूची में Ozempic जैसी प्रभावी दवाओं को स्थान दिया गया है, जिन्हें अब मोटापे और उससे संबंधित बीमारियों के उपचार में 'जरूरी' माना जाएगा।
Ozempic: एक नई उम्मीद
उम्मीद की नई किरण Ozempic Essential Medicines
WHO के इस ऐतिहासिक निर्णय को मोटापे से ग्रसित करोड़ों लोगों के लिए राहत की खबर माना जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे इन दवाओं की उपलब्धता में वृद्धि होगी और उनकी कीमतें भी घट सकती हैं। विशेष रूप से निम्न और मध्यम आय वाले देशों में यह निर्णय एक महत्वपूर्ण बदलाव साबित हो सकता है।
Ozempic क्या है?
Ozempic (सेमाग्लूटाइड) एक ऐसी दवा है, जो पहले टाइप-2 डायबिटीज के उपचार में उपयोग होती थी। लेकिन इसके वजन घटाने के प्रभाव को देखते हुए इसे अब मोटापे के इलाज में भी इस्तेमाल किया जा रहा है। यह दवा GLP-1 रिसेप्टर एगोनिस्ट श्रेणी की है, जो भूख को नियंत्रित करने में मदद करती है।
WHO का कदम: एक नई दिशा
WHO का कदम क्यों है खास?
यह पहली बार है जब मोटापे से संबंधित दवाओं को WHO की आवश्यक दवाओं की सूची में शामिल किया गया है। इस कदम से मोटापे को एक वैश्विक महामारी के रूप में औपचारिक मान्यता मिली है।
WHO की इस सूची को 150 से अधिक देश अपनी स्वास्थ्य नीतियों में महत्व देते हैं, जिससे दवा नीतियों में बड़े बदलाव की संभावना है।
विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की राय
दिल्ली के एक एंडोक्रिनोलॉजिस्ट ने कहा, “यह निर्णय चिकित्सा क्षेत्र में एक क्रांतिकारी कदम है। यह दर्शाता है कि अब हम मोटापे को गंभीरता से ले रहे हैं। यह केवल चिकित्सा नीति का बदलाव नहीं, बल्कि सामाजिक जागरूकता की शुरुआत भी है।”
भविष्य की दिशा
अब आगे क्या?
WHO की इस सूची के आधार पर सरकारें और स्वास्थ्य एजेंसियां इन दवाओं की खरीद, वितरण और सब्सिडी तय करेंगी।
इससे उन लाखों मरीजों को राहत मिलेगी, जो अब तक इन महंगी दवाओं का खर्च नहीं उठा पाते थे। यह कदम न केवल चिकित्सा नीतियों में बदलाव लाएगा, बल्कि मोटापे को अब 'लाइफस्टाइल समस्या' की जगह 'चिकित्सा आवश्यकता' के रूप में देखा जाएगा।