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World No Tobacco Day 2025: तंबाकू के खतरनाक प्रभाव और इससे बचने के उपाय

World No Tobacco Day 2025 के अवसर पर, तंबाकू के स्वास्थ्य पर प्रभावों पर चर्चा की गई है। विशेषज्ञों ने बताया है कि तंबाकू का सेवन न केवल फेफड़ों को प्रभावित करता है, बल्कि यह मुंह, हृदय, और प्रजनन स्वास्थ्य पर भी गंभीर प्रभाव डालता है। इस लेख में तंबाकू के सेवन से होने वाले कैंसर, विशेषकर ओरल कैंसर, और महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य पर इसके प्रभावों के बारे में जानकारी दी गई है। इसके अलावा, तंबाकू की लत से बचने के उपाय और जागरूकता अभियान की आवश्यकता पर भी जोर दिया गया है।
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World No Tobacco Day 2025: तंबाकू के खतरनाक प्रभाव और इससे बचने के उपाय

तंबाकू का व्यापक प्रभाव

World No Tobacco Day 2025: तंबाकू का सेवन केवल फेफड़ों पर ही नहीं, बल्कि यह हमारे संपूर्ण स्वास्थ्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित कर सकता है। एक सिगरेट में मौजूद हानिकारक तत्व न केवल फेफड़ों को कमजोर करते हैं, बल्कि मुंह, हृदय, मस्तिष्क, त्वचा और प्रजनन क्षमता पर भी नकारात्मक प्रभाव डालते हैं। धूम्रपान और चबाने वाले तंबाकू का हर रूप जानलेवा साबित हो सकता है। यह समस्या युवाओं से लेकर महिलाओं तक सभी वर्गों में फैल रही है। चिंता की बात यह है कि लोग तंबाकू के दुष्प्रभावों को जानने के बावजूद इसका सेवन जारी रखे हुए हैं। आधुनिक जीवनशैली के चलते युवा भी तंबाकू के नशे में डूबते जा रहे हैं। आज वर्ल्ड नो टोबैको डे के अवसर पर हम आपको बताएंगे कि सिगरेट और तंबाकू कैसे कई बीमारियों का कारण बनते हैं।


इस साल की थीम

हर साल 31 मई को वर्ल्ड नो टोबैको डे मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम है 'Dark intentions. Unmasking the Appeal', जिसका अर्थ है काले इरादों का पर्दाफाश करना। यह तंबाकू के जीवन में अंधकार लाने वाले प्रभावों को उजागर करने का प्रयास है। आइए, इस विषय पर विशेषज्ञों की राय लेते हैं।


मुंह का कैंसर: सबसे बड़ा खतरा

आकाश हेल्थकेयर की गायनकोलॉजी विभाग की निदेशक, डॉ. मधुलिका सिन्हा के अनुसार, तंबाकू का सेवन करने वालों में 80% से अधिक मामले ओरल कैंसर के होते हैं। ओरल कैंसर जीभ, होंठ, गाल और तालु को प्रभावित करता है। इसके प्रारंभिक लक्षणों में मुंह में छाले, सफेद या लाल धब्बे, चबाने या बोलने में कठिनाई और कभी-कभी कान में दर्द शामिल हैं।


युवाओं में तंबाकू की लत

डॉक्टर के अनुसार, युवाओं में तंबाकू की लत अक्सर चिंता, तनाव और सामाजिक दबाव के कारण विकसित होती है। यह धीरे-धीरे मानसिक स्वास्थ्य, अध्ययन और निर्णय लेने की क्षमता को प्रभावित करती है। शुरुआत में यह एक शौक के रूप में होती है, लेकिन निकोटीन का नशा मस्तिष्क के डोपामिन सिस्टम को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्ति बार-बार तंबाकू की तलाश करता है।


महिलाओं में प्रजनन स्वास्थ्य पर प्रभाव

विशेषज्ञों का कहना है कि धूम्रपान करने वाली महिलाओं में माहवारी अनियमित हो जाती है और उनमें PCOS जैसी हार्मोनल बीमारियों का खतरा दोगुना हो जाता है। गर्भावस्था के दौरान तंबाकू का सेवन भ्रूण पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है। धूम्रपान से एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का स्तर असंतुलित हो जाता है, जिससे प्रजनन क्षमता में कमी और गर्भपात का खतरा बढ़ता है।


त्वचा पर तंबाकू का प्रभाव

डॉक्टर के अनुसार, तंबाकू त्वचा की कोशिकाओं में ऑक्सीजन की आपूर्ति को कम करता है, जिससे चेहरे पर झुर्रियां, डार्क सर्कल और त्वचा की सुस्ती बढ़ जाती है। तंबाकू में मौजूद टार और निकोटीन कोलेजन के निर्माण को बाधित करते हैं, जिससे समय से पहले बुढ़ापे के लक्षण दिखाई देने लगते हैं।


क्या हर्बल सिगरेट और ई-सिगरेट सुरक्षित हैं?

डॉ. मधुलिका का कहना है कि ई-सिगरेट और हर्बल सिगरेट भी निकोटीन और अन्य हानिकारक रसायनों से भरी होती हैं। यह एक भ्रांति है कि ये सुरक्षित हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, ई-सिगरेट से भी निकोटीन की लत और हृदय व फेफड़ों की बीमारियों का खतरा होता है।


बचाव के उपाय

  • प्रारंभिक लक्षणों को पहचानें और जांच कराएं।
  • परामर्श लें - निकोटीन रिप्लेसमेंट थैरेपी, काउंसलिंग और सपोर्ट ग्रुप सहायक हो सकते हैं।
  • युवाओं को जागरूक करना और स्कूल-कॉलेज स्तर पर अभियान चलाना अत्यंत आवश्यक है।


जरूरी सलाह

विशेषज्ञों के अनुसार, तंबाकू छोड़ना कठिन है, लेकिन असंभव नहीं। एक सही शुरुआत, उचित सलाह और परिवार का समर्थन आपके जीवन को बचा सकता है।