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अंकोल पेड़: अद्भुत औषधीय गुण और पहचान

अंकोल पेड़, जो भारत के अरावली और मध्य प्रदेश की पहाड़ियों में पाया जाता है, अपने अद्भुत औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। इसकी जड़ और छाल से विष निवारक औषधियाँ बनाई जाती हैं, जो सर्पदंश और दमा जैसे गंभीर रोगों के इलाज में सहायक होती हैं। जानें इस पेड़ के अन्य स्वास्थ्य लाभ और उपयोग के तरीके।
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अंकोल पेड़: अद्भुत औषधीय गुण और पहचान

अंकोल पेड़ की विशेषताएँ

जानकारी: भारत में अंकोल पेड़ का प्रचलन कम है, लेकिन यह विशेष रूप से अरावली और मध्य प्रदेश की पहाड़ियों में पाया जाता है। इसकी ऊँचाई 25 से 40 फुट तक होती है और इसकी शाखाओं का रंग हल्का सफेद होता है। इस पेड़ की छाल और जड़ से विष निवारक औषधियाँ बनाई जाती हैं। यदि इसकी जड़ को पानी में घिसकर सर्पदंश के शिकार व्यक्ति के मुँह में डाल दिया जाए, तो उसका जहर तुरंत समाप्त हो जाता है।



इस पेड़ की एक और खासियत यह है कि यदि इसकी जड़ को नींबू के रस के साथ घिसकर, आधा चम्मच सुबह और आधा चम्मच शाम को भोजन से दो घंटे पहले दिया जाए, तो गंभीर दमा भी तीन दिनों में ठीक हो जाता है। दमा के इलाज में इसके समान कोई अन्य औषधि प्रभावी नहीं है। इसके जड़ की छाल का चूर्ण एक माशा काली मिर्च के साथ लेने से बवासीर भी समाप्त हो जाती है।


अंकोल की जड़ की छाल, जायफल, जावित्री और लौंग का पांच-पांच रत्ती लेकर चूर्ण बनाकर नियमित रूप से लेने से कोढ़ एक सप्ताह में समाप्त हो जाता है। अंकोल का तेल भी चमत्कारिक प्रभाव दिखाता है; इसके पांच बूँदें शक्कर के साथ गर्म दूध में मिलाकर तीन दिन तक पिलाने से शरीर में ताकत आ जाती है।