अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर ट्रेनों का परिचालन प्रभावित, यात्रियों की बढ़ी मुश्किलें
अंबाला कैंट से ट्रेनों का परिचालन रोकने का निर्णय
अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन से चलने वाली 20 पैसेंजर ट्रेनों में से 6 जोड़ी ट्रेनों का परिचालन अगले तीन महीनों के लिए स्थगित कर दिया गया है। रेलवे ने इसे धुंध और मौसम की स्थिति के कारण अस्थायी निर्णय बताया है, लेकिन इसका सीधा प्रभाव उन ग्रामीण यात्रियों पर पड़ा है जो इन ट्रेनों पर निर्भर थे।
दैनिक यात्रियों की समस्याएं बढ़ी
अंबाला से आसपास के जिलों में रोजाना काम या पढ़ाई के लिए आने वाले यात्रियों को अब बसों और निजी वाहनों पर निर्भर रहना पड़ रहा है। कई यात्रियों का कहना है कि पैसेंजर ट्रेनें सस्ती और समय पर चलने वाली थीं, जिनके रुकने से उनका खर्च और यात्रा का समय दोनों बढ़ गया है।
ट्रेनों की बहाली की मांग
स्थानीय यात्रियों ने रेल मंत्री और मंडल रेल प्रबंधक से ट्रेनों की बहाली की अपील शुरू कर दी है। उनका कहना है कि ग्रामीण क्षेत्रों से अंबाला आने वाले हजारों लोग इन ट्रेनों पर निर्भर रहते थे।
हरिहर और पटियाला रूट पर संचालन की मांग
उत्तराखंड, पंजाब और हिमाचल जैसे राज्यों से अंबाला पहुंचने वाले श्रमिक वर्ग ने भी अपनी शिकायतें दर्ज करवाई हैं। वे मांग कर रहे हैं कि सप्ताह में दो दिन चलने वाली हरिहर एक्सप्रेस को फिर से शुरू किया जाए, क्योंकि बड़ी संख्या में मजदूर इस रूट से बिहार की ओर जाते हैं।
कौन सी ट्रेनें रुकीं, कौन सी चल रही हैं
पहले अंबाला कैंट से 20 लोकल ट्रेनें चलती थीं, अब केवल 14 ट्रेनों का परिचालन हो रहा है। रेलवे ने दिसंबर से फरवरी तक जिन पैसेंजर ट्रेनों को स्थगित किया है, उनमें अंबाला-पानीपत, पानीपत-अंबाला, अंबाला-कुरुक्षेत्र, नंगलडैम-अंबाला, अंबाला-पटियाला, श्रीगंगानगर-अंबाला और लुधियाना-अंबाला शामिल हैं।
ग्रामीणों और छात्रों पर सबसे अधिक असर
सहारनपुर-अंबाला रेलखंड से जुड़े गांवों जैसे बराड़ा, तंदवाल और केसरी से बड़ी संख्या में लोग रोजाना इस स्टेशन पर आते हैं। इनमें नौकरी करने वाले लोग, कोचिंग या कॉलेज जाने वाले छात्र और मेल-एक्सप्रेस से उतरकर छोटे स्टेशनों तक जाने वाले यात्री शामिल हैं।
रेलवे का बयान
अंबाला मंडल के वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक एनके झा ने बताया कि धुंध के कारण पैसेंजर ट्रेनों पर भी एक्सप्रेस ट्रेनों जैसी पाबंदियां लगानी पड़ी हैं। उन्होंने कहा कि रेल मंडल यात्रियों की समस्या को समझता है और कुछ ट्रेनों के पुनः संचालन की योजना बनाई जा रही है।
आगे की रणनीति
विशेषज्ञों का कहना है कि रेलवे को भीड़भाड़ वाले रूट्स में वैकल्पिक यातायात प्रबंधन रणनीति और शटल सेवाओं पर विचार करना होगा, ताकि ग्रामीण और दैनिक यात्रियों को राहत मिल सके। कई सामाजिक संगठनों ने मांग की है कि यदि ट्रेनें बंद हैं तो उन रूट्स पर बस सेवाएं बढ़ाई जाएं।
