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अमेरिका का एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ा, भारतीयों पर पड़ेगा गहरा असर

अमेरिका ने एच-1बी वीजा आवेदनों पर सालाना 100,000 डॉलर का शुल्क लागू किया है, जिसका सबसे बड़ा प्रभाव भारतीय नागरिकों पर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय न केवल नए आवेदकों के लिए, बल्कि पहले से आवेदन कर चुके लोगों के लिए भी एक बड़ा झटका है। कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई हैं, और भारतीय सरकार इस निर्णय के प्रभाव का अध्ययन कर रही है। जानें इस विषय पर और क्या प्रतिक्रियाएँ आई हैं।
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अमेरिका का एच-1बी वीजा शुल्क बढ़ा, भारतीयों पर पड़ेगा गहरा असर

एच-1बी वीजा पर नया शुल्क

व्हाइट हाउस ने 19 सितंबर को एच-1बी वीजा आवेदनों के लिए सालाना 100,000 अमेरिकी डॉलर (लगभग 80 लाख रुपये) का शुल्क लागू करने की घोषणा की है। इस निर्णय का सबसे अधिक प्रभाव भारतीय नागरिकों पर पड़ने की संभावना है, क्योंकि भारतीय ही इस वीजा का सबसे बड़ा लाभ उठाते हैं, विशेषकर तकनीकी क्षेत्र में।


भारतीयों के लिए बड़ा झटका

विशेषज्ञों का मानना है कि यह निर्णय सभी एच-1बी वीजा धारकों के लिए एक गंभीर चुनौती है, न केवल नए आवेदकों के लिए, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो पहले से आवेदन कर चुके हैं। उन्हें हर साल 100,000 डॉलर का भुगतान करना होगा, जो हाल ही में स्नातक हुए भारतीयों के लिए एक बड़ा आर्थिक बोझ साबित हो सकता है।


कंपनियों की चिंता

इस नए शुल्क के कारण कंपनियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। ट्रंप प्रशासन के आदेश के अनुसार, कंपनियों को यह राशि हर वीजा के लिए जमा करनी होगी। माइक्रोसॉफ्ट ने अपने एच-1बी वीजा धारकों को 21 सितंबर 2025 तक अमेरिका लौटने का अल्टीमेटम दिया है। भारतीय आईटी उद्योग निकाय नैसकॉम ने इस निर्णय पर चिंता व्यक्त की है, यह कहते हुए कि यह कदम वैश्विक व्यापार निरंतरता के लिए हानिकारक है।


भारत की प्रतिक्रिया

भारतीय सरकार ने एच-1बी वीजा पर प्रस्तावित पाबंदियों के प्रभाव का अध्ययन करने की बात कही है। उद्योग जगत ने इस विषय पर प्रारंभिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है, जिसमें यह बताया गया है कि दोनों देशों के बीच तकनीकी और आर्थिक विकास में सहयोग बढ़ाने के लिए संवाद आवश्यक है।