अमेरिका द्वारा आयातित वस्तुओं पर नए टैरिफ का ऐलान, भारतीय उद्योगों पर पड़ेगा असर
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने 1 अक्टूबर 2025 से कई आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने की घोषणा की है, जिसमें फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर 100% टैरिफ शामिल है। यह नीति भारतीय उद्योगों, विशेषकर फार्मा सेक्टर, पर गहरा असर डाल सकती है। भारत से अमेरिका को दवाओं का निर्यात बढ़ रहा है, लेकिन नए टैरिफ के कारण कीमतें दोगुनी हो जाएंगी। इसके अलावा, फर्नीचर और कैबिनेट पर भी टैरिफ का प्रभाव पड़ेगा। जानें इस नीति के संभावित परिणाम और भारत को क्या कदम उठाने चाहिए।
Sep 26, 2025, 11:18 IST
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ट्रम्प का टैरिफ ऐलान
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने आज अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर यह जानकारी दी कि 1 अक्टूबर 2025 से अमेरिका कई आयातित वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाने की योजना बना रहा है। इस कदम में फार्मास्यूटिकल उत्पादों पर 100% टैरिफ शामिल है। ट्रम्प ने स्पष्ट किया कि जिन कंपनियों ने अमेरिका में उत्पादन संयंत्र स्थापित कर लिए हैं, उन पर यह नियम लागू नहीं होगा। यदि उनका उत्पादन अमेरिका के भीतर नहीं हो रहा है, तो उन पर 100 प्रतिशत टैरिफ लगाया जाएगा।
अन्य वस्तुओं पर टैरिफ
इसके अतिरिक्त, रसोई कैबिनेट और बाथरूम वैनिटी पर 50%, अपहोल्स्टर्ड फर्नीचर पर 30% और हैवी ट्रक्स पर 25% टैरिफ लगाया जाएगा। ट्रम्प ने कहा कि यह निर्णय अमेरिकी उद्योगों को विदेशी प्रतिस्पर्धा से बचाने और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करने के लिए लिया गया है। उन्होंने यह भी कहा कि टैरिफ लगाने से अमेरिका में निवेश बढ़ेगा और घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिलेगा। हालांकि, हाल के आंकड़े बताते हैं कि अमेरिकी उद्योगों में रोजगार में कमी आई है। अप्रैल से अब तक विनिर्माण क्षेत्र में 42,000 नौकरियाँ और निर्माण क्षेत्र में 8,000 नौकरियाँ कम हुई हैं।
भारत पर प्रभाव
यह घोषणा केवल अमेरिका तक सीमित नहीं रहेगी, बल्कि उन देशों पर भी असर डालेगी जो वहां अपने उत्पादों का निर्यात करते हैं। भारत, जो दवाओं का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक है, इस नीति से गंभीर रूप से प्रभावित हो सकता है। अमेरिका भारतीय दवा कंपनियों के लिए सबसे बड़ा बाजार है। भारत से अमेरिका को जेनेरिक दवाओं का निर्यात लगातार बढ़ रहा है, लेकिन कुछ कंपनियाँ ब्रांडेड और पेटेंटेड दवाओं का भी कारोबार करती हैं। 100% टैरिफ के बाद भारतीय दवाएँ अमेरिकी बाजार में दोगुनी कीमत पर पहुँचेंगी, जिससे माँग पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और भारतीय कंपनियों की प्रतिस्पर्धा क्षमता घटेगी। यदि यह स्थिति बनी रही, तो भारत की फार्मा कंपनियों को भारी राजस्व हानि हो सकती है।
फर्नीचर और ट्रक्स पर असर
भारत से अमेरिका को फर्नीचर और कैबिनेट का भी निर्यात होता है। हालांकि, यह चीन और वियतनाम की तुलना में कम है, लेकिन भारत की बढ़ती हिस्सेदारी को यह नया टैरिफ प्रभावित करेगा। महंगे फर्नीचर और कैबिनेट के कारण अमेरिकी उपभोक्ताओं की मांग घटेगी, जिससे भारतीय निर्यातकों को नुकसान होगा। हैवी ट्रक्स के मामले में, भारत का अमेरिका में सीधा निर्यात नगण्य है, इसलिए इस पर प्रत्यक्ष प्रभाव कम होगा। लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बदलाव से भारतीय वाहन उद्योग पर परोक्ष दबाव पड़ सकता है।
अमेरिका फर्स्ट नीति
यह टैरिफ नीति “अमेरिका फर्स्ट” दृष्टिकोण को दर्शाती है, जो वैश्विक व्यापार को संकुचित कर रही है। भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम करके यूरोप, अफ्रीका और एशिया के नए बाजारों पर ध्यान केंद्रित करना होगा। कुछ भारतीय कंपनियाँ अमेरिका में उत्पादन संयंत्र स्थापित करने की दिशा में कदम बढ़ा सकती हैं ताकि टैरिफ से बचा जा सके। इसके अलावा, भारत को अमेरिकी प्रशासन के साथ उच्च स्तरीय वार्ता करनी होगी ताकि कम से कम जेनेरिक दवाओं को राहत मिल सके।
चेतावनी और अवसर
यह स्पष्ट है कि ट्रम्प की घोषणा भारत के लिए एक चेतावनी है। फार्मा सेक्टर को सबसे बड़ा झटका लगेगा, क्योंकि यह भारत के निर्यात और रोजगार का एक महत्वपूर्ण आधार है। अल्पकाल में कंपनियों का मुनाफा घटेगा और बाजार की हिस्सेदारी सिकुड़ेगी। दीर्घकाल में, यदि भारत नए बाजार खोज लेता है और घरेलू उत्पादन में निवेश बढ़ाता है, तो इस संकट को अवसर में बदला जा सकता है।
भविष्य की चुनौतियाँ
हालांकि, यह नई टैरिफ नीति भारत के लिए कठिनाइयाँ लेकर आएगी। यह दिखाता है कि वैश्विक व्यापार अब पहले जैसा उदार नहीं रहा, और हर देश अपने उद्योगों की रक्षा में जुटा है। भारत को इस स्थिति में लचीली नीति, विविधीकृत निर्यात रणनीति और मजबूत कूटनीतिक प्रयासों के माध्यम से आगे बढ़ना होगा।