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अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव: विशेषज्ञ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए टैरिफ के बावजूद, विशेषज्ञों का मानना है कि इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई गंभीर प्रभाव नहीं पड़ेगा। S&P ग्लोबल रेटिंग्स के डायरेक्टर यीफार्न फुआ ने कहा है कि भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने की उम्मीद है। इसके अलावा, कई कंपनियां 'चीन प्लस वन' रणनीति के तहत भारत में निवेश बढ़ा रही हैं। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है।
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अमेरिकी टैरिफ का भारतीय अर्थव्यवस्था पर सीमित प्रभाव: विशेषज्ञ

भारत की आर्थिक स्थिति पर अमेरिकी टैरिफ का असर

नई दिल्ली: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय आयात पर लगाए गए उच्च टैरिफ के चलते निर्यातकों में चिंता का माहौल है। हालांकि, S&P ग्लोबल रेटिंग्स के डायरेक्टर यीफार्न फुआ का मानना है कि इसका भारत की आर्थिक वृद्धि पर कोई महत्वपूर्ण प्रभाव नहीं पड़ेगा। भारत की सॉवरेन रेटिंग का आउटलुक सकारात्मक बना रहेगा।


अमेरिका ने रूस से तेल खरीदने की पेनाल्टी के रूप में भारत पर 50% टैरिफ लगाया है। इसमें से 25% टैरिफ 7 अगस्त से लागू हो चुका है, जबकि बाकी 25% 28 अगस्त से लागू होगा। विशेषज्ञों का मानना है कि भारत की अर्थव्यवस्था इस चुनौती को आसानी से संभाल लेगी।


फुआ ने एशिया-पैसिफिक सॉवरेन रेटिंग्स पर एक वेबिनार में बताया कि भारत की अर्थव्यवस्था अमेरिकी बाजार पर ज्यादा निर्भर नहीं है। अमेरिका को भारत का निर्यात जीडीपी का केवल 2% है, इसलिए इन टैरिफ का प्रभाव सीमित रहेगा।


क्यों नहीं पड़ेगा बड़ा असर?
पिछले साल मई में S&P ने भारत की सॉवरेन रेटिंग 'BBB-' को सकारात्मक आउटलुक दिया था, जो मजबूत आर्थिक वृद्धि के कारण था। S&P के अनुसार, चालू वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी ग्रोथ 6.5% रहने का अनुमान है, जो पिछले वर्ष के समान है। इसके अलावा, फार्मास्यूटिकल्स और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे प्रमुख निर्यात क्षेत्रों को टैरिफ से छूट दी गई है।


निवेश पर भी असर की संभावना नहीं
निवेश पर संभावित असर के सवाल पर फुआ ने कहा कि 'चीन प्लस वन' रणनीति के तहत कई कंपनियां भारत में अपने कारोबार का विस्तार कर रही हैं। ये निवेशक मुख्य रूप से भारत के तेजी से बढ़ते मध्यम वर्ग और घरेलू मांग को ध्यान में रखते हुए यहां आ रहे हैं, न कि केवल अमेरिकी बाजार में निर्यात के लिए।


फुआ के अनुसार, "भारत में निवेश करने वालों का मकसद सिर्फ अमेरिका तक सीमित नहीं है, बल्कि वे देश के भीतर की बड़ी खपत क्षमता को भी भुनाना चाहते हैं।"