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आंध्र प्रदेश में स्मार्ट मीटर योजना पर किसानों का विरोध बढ़ा

आंध्र प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने की योजना ने किसानों और विपक्षी दलों का विरोध बढ़ा दिया है। मीटर की लागत ₹6,000 प्रति मीटर होने के कारण किसानों पर अतिरिक्त वित्तीय बोझ का खतरा है। तेलुगु देशम पार्टी और जन सेना जैसी विपक्षी पार्टियों ने सरकार की आलोचना की है। किसान संगठनों ने राज्यभर में प्रदर्शन किए हैं, जबकि सरकार का दावा है कि स्मार्ट मीटर से बिजली वितरण में सुधार होगा। यह मुद्दा राज्य में एक बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया है।
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आंध्र प्रदेश में स्मार्ट मीटर योजना पर किसानों का विरोध बढ़ा

स्मार्ट मीटर योजना का विवाद

आंध्र प्रदेश में राज्य सरकार द्वारा बिजली के स्मार्ट मीटर लगाने की योजना ने विवाद और जन आक्रोश को जन्म दिया है। विशेष रूप से, आंध्र प्रदेश दक्षिणी विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड (APSPDCL) द्वारा कृषि क्षेत्र में इन मीटरों की स्थापना का किसान और विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।


इस विरोध का मुख्य कारण स्मार्ट मीटरों की लागत है, जो लगभग ₹6,000 प्रति मीटर आंकी गई है। किसानों का कहना है कि यह अतिरिक्त वित्तीय बोझ उनके लिए और भी अधिक कठिनाई पैदा करेगा, जो पहले से ही कई आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। वे इस निर्णय को वापस लेने की मांग कर रहे हैं।


तेलुगु देशम पार्टी (TDP) और जन सेना जैसी प्रमुख विपक्षी पार्टियों ने भी सरकार की आलोचना की है। उनका आरोप है कि सरकार बिना पारदर्शिता के इस योजना को लागू कर रही है, जो गरीब और मध्यम वर्ग के उपभोक्ताओं के लिए हानिकारक साबित हो सकती है।


किसान संगठनों और विपक्षी दलों ने इस योजना के खिलाफ राज्यभर में प्रदर्शन और रैलियां आयोजित की हैं। वे चाहते हैं कि स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया को रोका जाए और इसकी लागत उपभोक्ताओं पर न डाली जाए।


हालांकि, सरकार का कहना है कि स्मार्ट मीटर लगाने से बिजली वितरण प्रणाली में सुधार होगा, बिजली के नुकसान को कम किया जा सकेगा और बिजली की खपत की सटीक निगरानी संभव होगी, जिससे सभी को लाभ होगा। इस मुद्दे पर जनता का गुस्सा कम होता नहीं दिख रहा है। वर्तमान में कृषि कनेक्शनों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, लेकिन घरेलू उपभोक्ताओं में भी यह चिंता है कि उन्हें भी स्मार्ट मीटर लगाने का दबाव झेलना पड़ सकता है। यह योजना राज्य में एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक विवाद का केंद्र बन गई है।