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आयुर्वेद: स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए प्राचीन रहस्य

आयुर्वेद एक प्राचीन भारतीय चिकित्सा प्रणाली है, जो न केवल शरीर को बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलित करने का प्रयास करती है। अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्स की डॉ. ज़ंखाना एम बुच ने बताया कि कैसे आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन में शामिल किया जा सकता है। जानें खाने के तरीकों और नाश्ते के महत्व के बारे में, जो आपके स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद कर सकते हैं।
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आयुर्वेद: स्वास्थ्य और तंदुरुस्ती के लिए प्राचीन रहस्य

आयुर्वेद का महत्व

यदि आप एक संतुलित और प्राचीन चिकित्सा पद्धति की खोज में हैं, तो आयुर्वेद आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकता है। यह भारतीय चिकित्सा प्रणाली न केवल शरीर को, बल्कि मन और आत्मा को भी संतुलित करने का मार्ग प्रदान करती है। अपोलो आयुर्वेद हॉस्पिटल्स की मुख्य चिकित्सा अधिकारी, डॉ. ज़ंखाना एम बुच ने बताया कि कैसे आयुर्वेदिक सिद्धांतों को अपने दैनिक जीवन और आहार में शामिल किया जा सकता है।


खाने के तरीकों पर ध्यान

खाने के तरीकों पर जोर


डॉ. बुच के अनुसार, आयुर्वेद केवल खाद्य पदार्थों पर ध्यान नहीं देता, बल्कि खाने के तरीकों पर भी जोर देता है। वर्तमान बुफे संस्कृति को वह असंतुलित और पाचन के लिए हानिकारक मानती हैं। एक साथ गर्म-ठंडा, खट्टा-मीठा या भारी-हल्का भोजन लेने से पाचन तंत्र प्रभावित होता है और शरीर की प्राकृतिक अग्नि, यानी मेटाबॉलिज्म, में बाधा आती है।


आयुर्वेद में 12 महत्वपूर्ण नियम बताए गए हैं, जैसे ताजा और गर्म भोजन करना, असंगत खाद्य पदार्थों को एक साथ न खाना, ध्यानपूर्वक और शांत वातावरण में भोजन करना, और खाने के बाद शरीर को विश्राम देना। यह दृष्टिकोण भोजन को केवल पेट भरने का साधन नहीं, बल्कि शरीर को संतुलित और स्वस्थ बनाए रखने का एक महत्वपूर्ण साधन मानता है।


नाश्ते का महत्व

दिन की शुरुआत हल्के और गर्म नाश्ते के साथ


डॉ. बुच के अनुसार, दिन की शुरुआत हल्के और गर्म नाश्ते से होनी चाहिए ताकि पाचन अग्नि धीरे-धीरे जाग सके। दोपहर का भोजन दिन का सबसे भारी और संतुलित होना चाहिए, जिसमें सभी छह स्वाद शामिल हों। वहीं, रात का भोजन हल्का, गर्म और जल्दी करना चाहिए ताकि शरीर को विश्राम और रिकवरी का समय मिल सके।