आयुर्वेदिक ऋतु शोधन: मौसम के अनुसार शरीर की सफाई का महत्व

ऋतु शोधन: एक प्राकृतिक उपचार
नई दिल्ली - स्वस्थ जीवनशैली के लिए आजकल लोग आयुर्वेद का सहारा ले रहे हैं। हाल ही में, आयुष मंत्रालय ने अपने इंस्टाग्राम पर एक पुरानी लेकिन प्रभावी आयुर्वेदिक परंपरा, ऋतु शोधन, के बारे में जानकारी साझा की।
ऋतु शोधन का सरल अर्थ है मौसम के अनुसार शरीर की सफाई करना। यह केवल एक उपचार नहीं है, बल्कि यह शरीर और मन को ताजगी प्रदान करने का एक प्राकृतिक तरीका है। मंत्रालय ने बताया कि इस प्रक्रिया में विरेचन (लैक्सेटिव्स) और वमन (इमेटिक्स) जैसे उपचार शामिल होते हैं, जो शरीर को आंतरिक रूप से शुद्ध करते हैं। विरेचन विषैले मलद्रव्यों को बाहर निकालने की प्रक्रिया है, जबकि वमन जानबूझकर उल्टी कराने की विधि है, जिससे पेट और फेफड़ों में जमा अवांछित तत्व बाहर निकलते हैं। ये दोनों विधियां आयुर्वेद के पंचकर्म का हिस्सा मानी जाती हैं।
आयुष मंत्रालय ने यह भी बताया कि ये उपचार मौसम के अनुसार किए जाने चाहिए, ताकि शरीर प्राकृतिक रूप से वातावरण के साथ सामंजस्य स्थापित कर सके। जब शरीर से विषैले तत्व बाहर निकलते हैं, तो न केवल पाचन तंत्र मजबूत होता है, बल्कि मानसिक स्थिति भी बेहतर होती है। ऋतु शोधन रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है, जिससे मौसम बदलने पर सामान्य बुखार, सर्दी-जुकाम और एलर्जी जैसी समस्याओं से बचा जा सकता है। इसके अतिरिक्त, यह उन लोगों के लिए भी लाभकारी है जो जीवनशैली से जुड़ी समस्याओं जैसे मोटापा, अपच, त्वचा रोग या मानसिक तनाव का सामना कर रहे हैं। यदि हम आयुर्वेद के सरल सिद्धांतों को अपनाएं और मौसम के अनुसार अपनी देखभाल करें, तो हम न केवल बीमारियों से दूर रह सकते हैं, बल्कि एक बेहतर और संतुलित जीवन भी जी सकते हैं। ऋतु शोधन जैसे पारंपरिक उपचार आज के समय में नई उम्मीद बनकर उभर रहे हैं, जो न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि पूरी तरह से प्राकृतिक भी हैं।