Newzfatafatlogo

आलू की खेती के लिए सही समय और तकनीकें

हरियाणा के किसानों के लिए आलू की खेती का सही समय आ गया है। उद्यान विभाग अब गुणवत्तापूर्ण और रोगमुक्त बीज उपलब्ध कराने जा रहा है। जानें खेत की तैयारी, मिट्टी की जांच का महत्व और एरोपोनिक तकनीक के जरिए आलू की खेती करने के तरीके। इस लेख में आलू की बिजाई के लिए महत्वपूर्ण सुझाव और तकनीकें साझा की गई हैं, जो किसानों की आय बढ़ाने में मदद करेंगी।
 | 
आलू की खेती के लिए सही समय और तकनीकें

आलू की खेती का सही समय

आलू की खेती। हरियाणा के किसानों के लिए एक सकारात्मक समाचार है! आलू की खेती का उपयुक्त समय आ चुका है, और इस बार उद्यान विभाग कुछ विशेष कदम उठाने जा रहा है। पहले किसान पारंपरिक तरीके से मिट्टी में बीज बोते थे, लेकिन अब विभाग उच्च गुणवत्ता और रोगमुक्त आलू के बीज उपलब्ध कराने जा रहा है। इससे न केवल उत्पादन में वृद्धि होगी, बल्कि किसानों की आय में भी सुधार होगा। सितंबर के अंतिम सप्ताह और पूरे अक्टूबर का समय आलू की बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त है। आइए जानते हैं, आलू की खेती के लिए खेत कैसे तैयार करें और क्या हैं महत्वपूर्ण सुझाव!


आलू की खेती की तैयारी

आलू की अच्छी फसल के लिए खेत की मिट्टी को ढीला और भुरभुरा करना आवश्यक है। इसके लिए 25-30 सेंटीमीटर गहरी जुताई करें। मिट्टी पलटने वाले हल का उपयोग करें और 3-4 बार हल्की जुताई के बाद सुहागा लगाकर मिट्टी को समतल करें। प्रति एकड़ 8-10 टन सड़ी हुई गोबर की खाद डालें। आप चाहें तो वर्मी कंपोस्ट, नीम की खली या सरसों की खली जैसी जैविक खाद भी मिला सकते हैं। अंतिम जुताई के समय प्रति एकड़ 50-60 किलोग्राम यूरिया, 50-55 किलोग्राम डीएपी और 70-80 किलोग्राम पोटाश डालें। इससे मिट्टी में पोषक तत्वों की भरपूरता सुनिश्चित होगी।


मिट्टी की जांच का महत्व

आलू अनुसंधान केंद्र के प्रभारी आशुल आनंद का कहना है कि आलू बोने से पहले मिट्टी की जांच कराना अत्यंत आवश्यक है। इससे मिट्टी का पीएच और पोषक तत्वों की जानकारी मिलती है, जिसके आधार पर आवश्यक सुधार किए जा सकते हैं। आलू के लिए ढीली और अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। यह सुनिश्चित करें कि खेत में पानी का जमाव न हो, अन्यथा कंद विकृत हो सकते हैं। मिट्टी तैयार होने के बाद क्यारियां बनाएं। यदि समतल भूमि पर खेती कर रहे हैं, तो बीज बोने के बाद मिट्टी चढ़ाएं।


एरोपोनिक आलू की खेती

किसान अब एरोपोनिक तकनीक का उपयोग करके आलू की खेती कर अच्छी कमाई कर सकते हैं। इसके लिए पहले आलू के कंदों को अंकुरित करें या लैब से टिश्यू कल्चर वाले पौधे लें। इन्हें एरोपोनिक यूनिट में लगाएं, जहां जड़ें हवा में लटकती हैं। पोषक तत्वों का घोल तैयार करें और पंप के माध्यम से नियमित अंतराल पर जड़ों पर स्प्रे करें। पौधों को सही तापमान और पर्याप्त प्रकाश प्रदान करें। जब कंद तैयार हो जाएं, तो उन्हें काट लें। इस तकनीक से रोगमुक्त और उच्च गुणवत्ता वाले आलू मिलते हैं, जिनकी बाजार में अच्छी कीमत होती है।


बिजाई का सही समय और सुझाव

सितंबर के अंतिम सप्ताह और अक्टूबर का महीना आलू की बिजाई के लिए सबसे उपयुक्त समय है। खेत में क्यारियां बनाकर बीज बोएं और मिट्टी को अच्छे से तैयार करें। जैविक और रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग करें। एरोपोनिक तकनीक अपनाने वाले किसान जालीदार गमलों या बक्सों में पौधे रखें, ताकि जड़ें हवा में लटक सकें। इस तकनीक से न केवल पैदावार बढ़ेगी, बल्कि मेहनत भी कम होगी।