इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान होने वाली सामान्य गलतियाँ

इंटरमिटेंट फास्टिंग की बढ़ती लोकप्रियता
इंटरमिटेंट फास्टिंग आजकल फिटनेस प्रेमियों के बीच एक ट्रेंड बन गया है। इसमें लोग दिन के कुछ घंटों में भोजन करते हैं और बाकी समय उपवास रखते हैं। आमतौर पर, 16 घंटे का उपवास और 8 घंटे का खाने का समय निर्धारित किया जाता है। यह वजन को नियंत्रित रखने, रक्त शर्करा के स्तर को संतुलित रखने और समग्र स्वास्थ्य में सुधार करने में मदद करता है।
गलतियाँ जो फास्टिंग के दौरान की जाती हैं
हालांकि, यदि इसे सही तरीके से नहीं किया जाए, तो इसके लाभ कम और हानि अधिक हो सकती है। आइए जानते हैं इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान की जाने वाली कुछ सामान्य गलतियों के बारे में, जिनसे बचना आवश्यक है।
फास्टिंग के बाद अत्यधिक भोजन
लंबे उपवास के बाद, कई लोग एक बार में बहुत अधिक और भारी भोजन कर लेते हैं, जैसे कि रोटी, चावल या तले हुए खाद्य पदार्थ। इससे शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है और खाने के बाद थकान, नींद और सुस्ती महसूस होती है। विशेषज्ञों का सुझाव है कि उपवास तोड़ते समय हल्का और पौष्टिक भोजन जैसे उबले अंडे, सब्जियाँ, दही, पनीर या सूखे मेवे खाना चाहिए। इससे पेट भी भरेगा और शरीर को आवश्यक पोषण भी मिलेगा।
प्रोटीन की कमी
इंटरमिटेंट फास्टिंग के दौरान प्रोटीन की कमी एक गंभीर गलती है। जब शरीर को पर्याप्त प्रोटीन नहीं मिलता, तो मांसपेशियाँ कमजोर होने लगती हैं और मेटाबॉलिज्म धीमा हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप बार-बार भूख लगती है। इसलिए अंडे, चिकन, दालें, पनीर, टोफू, दही और नट्स को अपने आहार में शामिल करना चाहिए।
नींद की कमी
यदि आप रात में पर्याप्त नींद नहीं ले रहे हैं, तो इंटरमिटेंट फास्टिंग आपके लिए फायदेमंद नहीं होगी। कम नींद से शरीर में तनाव हार्मोन 'कोर्टिसोल' का स्तर बढ़ जाता है, जिससे मीठा खाने की इच्छा बढ़ जाती है और उपवास टूट सकता है। इसलिए हर दिन कम से कम 7-8 घंटे की नींद लेना आवश्यक है।
शारीरिक गतिविधि का अभाव
कुछ लोग मानते हैं कि केवल इंटरमिटेंट फास्टिंग से ही वजन कम होगा, इसलिए वे व्यायाम नहीं करते। लेकिन सच्चाई यह है कि व्यायाम और आहार दोनों का संतुलन आवश्यक है। आप चल सकते हैं, योग कर सकते हैं या हल्का घरेलू व्यायाम कर सकते हैं, जिससे वजन तेजी से घटेगा और शरीर सक्रिय रहेगा।
तनाव प्रबंधन
यदि आप लगातार तनाव में रहते हैं, तो उपवास आपके लिए और भी कठिन हो जाएगा। तनाव से कोर्टिसोल का स्तर बढ़ता है और मन बार-बार खाने की इच्छा करता है, भले ही पेट भरा हो। इसलिए उपवास के साथ तनाव प्रबंधन करना जरूरी है। इसके लिए ध्यान करें, गहरी सांस लें या प्रकृति में थोड़ा समय बिताएं।