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इन्हेलर से बढ़ता प्रदूषण: एक नई रिसर्च का खुलासा

हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि अमेरिका में इस्तेमाल होने वाले इन्हेलर हर साल 5 लाख कारों के बराबर प्रदूषण उत्पन्न करते हैं। इस रिसर्च में बताया गया है कि मीटर्ड-डोज इन्हेलर मुख्य रूप से इस समस्या के लिए जिम्मेदार हैं। हालांकि, सुरक्षित विकल्प जैसे ड्राई पाउडर और सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर उपलब्ध हैं, जो पर्यावरण और स्वास्थ्य के लिए बेहतर हैं। जानें इस विषय पर और क्या कहा गया है।
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इन्हेलर से बढ़ता प्रदूषण: एक नई रिसर्च का खुलासा

इन्हेलर और पर्यावरण पर प्रभाव

नई दिल्ली: सांस संबंधी बीमारियों के उपचार में उपयोग होने वाले इन्हेलर, जो लाखों लोगों के लिए जीवनदायिनी साबित होते हैं, अब पृथ्वी के लिए एक गंभीर खतरा बन गए हैं। हाल ही में एक अमेरिकी अध्ययन में यह बात सामने आई है कि ये इन्हेलर वैश्विक तापमान में वृद्धि का कारण बन रहे हैं। इस अध्ययन के अनुसार, अमेरिका में इन इन्हेलरों का उपयोग हर साल 5 लाख से अधिक कारों के बराबर प्रदूषण उत्पन्न करता है।


यह अध्ययन अमेरिका के प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन (JAMA) में प्रकाशित हुआ है, जिसमें बताया गया है कि पिछले एक दशक में इन इन्हेलरों ने 24.9 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाइऑक्साइड का उत्सर्जन किया है। इनमें सबसे अधिक योगदान 'मीटर्ड-डोज इन्हेलर' या 'पफर' इन्हेलरों का है, जो कुल उत्सर्जन का 98% हिस्सा बनाते हैं। इन उपकरणों में दवा को फेफड़ों तक पहुंचाने के लिए हाइड्रोफ्लोरोएल्केन (HFA) नामक प्रोपेलेंट का उपयोग किया जाता है, जो एक शक्तिशाली ग्रीनहाउस गैस है।


शोधकर्ताओं ने यह भी बताया कि इसके सुरक्षित विकल्प उपलब्ध हैं। 'ड्राई पाउडर इन्हेलर' और 'सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर' में किसी प्रकार के प्रोपेलेंट का उपयोग नहीं होता, जिससे ये पर्यावरण और स्वास्थ्य दोनों के लिए लगभग हानिरहित होते हैं। ड्राई पाउडर इन्हेलर मरीज की सांस से काम करता है, जबकि सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर दवा को एक महीन स्प्रे में बदल देता है।


रिसर्चर विलियम फेल्डमैन ने कहा, "यह एक गंभीर चिंता का विषय है, लेकिन इसे आसानी से हल किया जा सकता है।" उन्होंने बताया कि बहुत कम मरीजों को विशेष रूप से मीटर्ड-डोज इन्हेलर की आवश्यकता होती है। अधिकांश मरीज डॉक्टर की सलाह पर सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल ड्राई पाउडर या सॉफ्ट मिस्ट इन्हेलर का उपयोग कर सकते हैं, जिससे न तो उनके स्वास्थ्य पर कोई नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और न ही पृथ्वी को कोई नुकसान होगा।