इम्यून सिस्टम के रहस्य का खुलासा: नोबेल विजेताओं की खोज से मिलेगी नई उम्मीद

इम्यून सिस्टम की लड़ाई: ऑटोइम्यून बीमारियों का रहस्य
अंतरराष्ट्रीय समाचार: हमारा शरीर प्रतिदिन लाखों बैक्टीरिया और वायरस से मुकाबला करता है, और यह सब इम्यून सिस्टम की मदद से संभव होता है। हालांकि, कभी-कभी यह सिस्टम अपने ही अंगों पर हमला कर देता है, जिसे ऑटोइम्यून बीमारी कहा जाता है। तीन नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिकों ने इस रहस्य को सुलझाने का प्रयास किया है कि इम्यून सिस्टम खुद से क्यों नहीं लड़ता। 1995 में, जापान के वैज्ञानिक शिमोन सकागुची ने यह सिद्ध किया कि इम्यून सिस्टम की सुरक्षा केवल थाइमस नामक अंग में नहीं होती। उन्होंने एक नई प्रकार की सेल, जिसे रेग्युलेटरी टी सेल कहा जाता है, की खोज की, जो शरीर को आत्म-हमले से बचाती है।
ब्रंकॉ और राम्सडेल का महत्वपूर्ण योगदान
2001 में, मैरी ब्रंकॉ और फ्रेड राम्सडेल ने एक महत्वपूर्ण जीन की खोज की। उन्होंने पाया कि यदि "Foxp3" नाम का जीन खराब हो जाए, तो इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी आ जाती है। चूहों पर किए गए प्रयोगों से यह स्पष्ट हुआ कि जीन में खराबी गंभीर बीमारियों का कारण बनती है। इन वैज्ञानिकों ने यह भी पता लगाया कि इंसानों में इसी जीन की खराबी से IPEX नामक खतरनाक बीमारी होती है, जिसमें बच्चे जन्म के समय से ही गंभीर ऑटोइम्यून समस्याओं का सामना करते हैं। इसका उपचार अत्यंत कठिन होता है।
जीन और सेल के बीच का संबंध
2003 में, सकागुची ने यह साबित किया कि Foxp3 जीन रेग्युलेटरी टी सेल के निर्माण के लिए आवश्यक है। इसका मतलब है कि इस जीन के बिना ये सेल नहीं बन सकते, जिससे इम्यून सिस्टम अपने ही शरीर पर हमला करने लगता है। इस खोज ने डॉक्टरों को नई उम्मीद दी है। अब ऑटोइम्यून बीमारियों जैसे डायबिटीज, आर्थराइटिस और कैंसर के उपचार के लिए नई दवाएं विकसित की जा रही हैं। अंग प्रत्यारोपण के मरीजों के लिए भी यह खोज महत्वपूर्ण साबित होगी।
दुनिया भर के मरीजों के लिए नई उम्मीद
नोबेल समिति के प्रमुख ने कहा कि यह खोज यह स्पष्ट करती है कि हर व्यक्ति को गंभीर ऑटोइम्यून बीमारी क्यों नहीं होती। भविष्य में, इस खोज से करोड़ों मरीजों को राहत मिल सकती है और कई जिंदगियों को बचाया जा सकता है।