ईरान-इजराइल संघर्ष: शोक और एकता का प्रतीक बन गई अंतिम यात्रा

ईरान-इजराइल युद्ध का प्रभाव
ईरान-इजराइल युद्ध: इजराइल के साथ 12 दिनों के संघर्ष में रिवोल्यूशनरी गार्ड के प्रमुख, अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों और परमाणु वैज्ञानिकों की अंतिम यात्रा के दौरान शनिवार को तेहरान की सड़कों पर हजारों की संख्या में लोग एकत्रित हुए। इस दौरान 'डेथ टू इजरायल' और 'डेथ टू अमेरिका' के नारे लगाते हुए देश में शोक की लहर फैल गई। मृतकों की याद में 60 प्रमुख हस्तियों की भव्य अंतिम संस्कार यात्रा का आयोजन किया गया, जो न केवल उनके बलिदान को सम्मानित करने का प्रयास है, बल्कि यह राष्ट्रीय एकता और संवेदना का प्रतीक भी बन गई है।
त्रासदी का भयावह मंजर
त्रासदी का भयावह मंजर
ईरान में इस घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, इस त्रासदी में 627 लोगों की जान गई है, जिनमें कई सैन्य और वैज्ञानिक क्षेत्र की महत्वपूर्ण हस्तियां शामिल हैं। इसके अलावा, लगभग 4900 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से कई की स्थिति अभी भी गंभीर बनी हुई है। इस घटना ने न केवल मानवीय क्षति पहुंचाई है, बल्कि देश की सामाजिक और रणनीतिक संरचना पर भी गहरा प्रभाव डाला है।
सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर वैज्ञानिकों की हानि
सैन्य कमांडरों और न्यूक्लियर साइंटिस्टों की मौत
इस घटना में मारे गए लोगों में सैन्य कमांडर और न्यूक्लियर वैज्ञानिक जैसे राष्ट्रीय महत्व के व्यक्ति शामिल हैं। इन हस्तियों की मृत्यु ने ईरान की रक्षा और वैज्ञानिक प्रगति के क्षेत्र में एक बड़ा शून्य पैदा कर दिया है। यह नुकसान न केवल हमारे देश के लिए, बल्कि वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए भी दुखद है, जैसा कि एक सरकारी अधिकारी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा।
भव्य अंतिम संस्कार यात्रा का आयोजन
भव्य अंतिम संस्कार यात्रा
इस त्रासदी के बाद मृतकों की स्मृति में 60 प्रमुख व्यक्तियों की एक भव्य अंतिम संस्कार यात्रा का आयोजन किया गया। यह यात्रा देश की राजधानी और अन्य प्रमुख शहरों में निकाली गई, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए। "यह यात्रा हमारे उन नायकों को श्रद्धांजलि है, जिन्होंने देश के लिए अपना सबकुछ न्योछावर कर दिया," एक आयोजक ने भावुक स्वर में कहा। इस यात्रा में शामिल लोग न केवल शोक मना रहे थे, बल्कि राष्ट्रीय एकता का संदेश भी दे रहे थे।