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ईरान के गैस क्षेत्र पर इजरायली हमले का वैश्विक ऊर्जा बाजार पर प्रभाव

इजरायली हवाई हमले ने ईरान के दक्षिण पारस गैस क्षेत्र में गैस उत्पादन में कटौती का कारण बना। यह हमला ईरान के ऊर्जा ढांचे पर पहला सीधा हमला है, जिससे वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर गंभीर खतरा उत्पन्न हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह घटना आर्थिक युद्ध की शुरुआत का संकेत है। ईरान का ऊर्जा क्षेत्र पहले से ही समस्याओं का सामना कर रहा था, और इस हमले ने स्थिति को और भी नाजुक बना दिया है। जानें इस हमले के वैश्विक ऊर्जा बाजार पर संभावित प्रभाव और इसके दूरगामी परिणाम।
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ईरान के गैस क्षेत्र पर इजरायली हमले का वैश्विक ऊर्जा बाजार पर प्रभाव

ईरान में गैस उत्पादन में कटौती

इजरायली हवाई हमलों के कारण ईरान को अपने दक्षिण पारस गैस क्षेत्र में गैस उत्पादन में आंशिक कमी लानी पड़ी है। इस हमले ने एक प्रमुख गैस प्रसंस्करण इकाई को निशाना बनाया, जिसके परिणामस्वरूप प्रतिदिन 12 मिलियन क्यूबिक मीटर गैस उत्पादन रुक गया। यह घटना ईरान के तेल और गैस ढांचे पर इजरायल का पहला सीधा हमला माना जा रहा है।


दक्षिण पारस गैस क्षेत्र का महत्व

दक्षिण पारस गैस क्षेत्र, जो ईरान के बुशहर प्रांत के अपतटीय क्षेत्र में स्थित है, विश्व का सबसे बड़ा प्राकृतिक गैस भंडार है। यह क्षेत्र ईरान की घरेलू गैस आपूर्ति का लगभग 66 प्रतिशत प्रदान करता है, जिसका उपयोग बिजली उत्पादन, हीटिंग और पेट्रोकेमिकल उद्योग में किया जाता है। यह क्षेत्र कतर के साथ साझा किया जाता है, जिसे उत्तरी क्षेत्र के नाम से जाना जाता है।


ईरान की गैस उत्पादन क्षमता

ईरान विश्व का तीसरा सबसे बड़ा गैस उत्पादक देश है, जो प्रति वर्ष लगभग 275 बिलियन क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन करता है। अधिकांश गैस घरेलू उपयोग के लिए होती है, जबकि कुछ गैस इराक जैसे देशों को निर्यात की जाती है। कतर और वैश्विक ऊर्जा कंपनियां जैसे शेल और एक्सॉनमोबिल, इस क्षेत्र से प्रति वर्ष 77 मिलियन टन तरलीकृत प्राकृतिक गैस (LNG) का निर्यात करती हैं।


इजरायली हमले का नया दृष्टिकोण

अब तक, इजरायली हमले मुख्य रूप से ईरान की सैन्य और परमाणु संपत्तियों पर केंद्रित थे। लेकिन साउथ पारस गैस क्षेत्र जैसे ऊर्जा बुनियादी ढांचे को निशाना बनाना एक नई रणनीति का संकेत है, जो आर्थिक युद्ध की शुरुआत को दर्शाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला अबकैक के बाद से तेल और गैस के बुनियादी ढांचे पर सबसे महत्वपूर्ण हमला हो सकता है।


वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति पर खतरा

यह हमला न केवल ईरान के लिए, बल्कि वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए भी गंभीर खतरा है। कतर, जो एक प्रमुख एलएनजी आपूर्तिकर्ता है, इस क्षेत्र को साझा करता है। यदि तनाव बढ़ता है, तो ईरान के अन्य महत्वपूर्ण ऊर्जा बिंदुओं पर हमलों की संभावना भी बढ़ सकती है।


ऊर्जा बाजारों पर प्रभाव

इजरायली हमलों के बाद, शुक्रवार को तेल की कीमतों में 14 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 73 डॉलर प्रति बैरल के आसपास पहुंच गई। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसे हमले बढ़ते हैं, तो तेल और गैस की कीमतें आसमान छू सकती हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला प्रभावित हो सकती है।


ईरान की नाजुक स्थिति

ईरान का ऊर्जा क्षेत्र पहले से ही कई समस्याओं का सामना कर रहा था, जैसे गैस की कमी और बार-बार होने वाले ब्लैकआउट, जिससे अर्थव्यवस्था को प्रतिदिन लगभग 250 मिलियन डॉलर का नुकसान हो रहा था। इजरायली हमले ने इस स्थिति को और भी नाजुक बना दिया है।


ऊर्जा सुरक्षा का वैश्विक प्रभाव

दक्षिण पारस गैस क्षेत्र का स्थान फारस की खाड़ी में होने के कारण यह वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। इजरायली हमले ने यह साबित कर दिया है कि ऊर्जा संसाधन अब युद्ध के मैदान का हिस्सा बन चुके हैं, जिससे तेल बाजारों में जोखिम और बढ़ गया है। यदि संघर्ष बढ़ता है, तो तेल और गैस की कीमतों में और वृद्धि हो सकती है, जिससे महंगाई और ऊर्जा निर्भर क्षेत्रों में संकट बढ़ सकता है।