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उत्तर कोरिया में बाघ, भालू और उदबिलाव का शिकार: भूख की मजबूरी

उत्तर कोरिया में भूख के कारण बाघ, भालू और उदबिलाव का शिकार बढ़ रहा है। यह स्थिति वहां के खाद्य संकट का परिणाम है, जहां लोग जीवों का मांस खाने पर मजबूर हैं। जानें इस गंभीर समस्या के पीछे की वजहें और जानवरों के मांस का स्वाद कैसा होता है।
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उत्तर कोरिया में बाघ, भालू और उदबिलाव का शिकार: भूख की मजबूरी

उत्तर कोरिया में जानवरों का शिकार

उत्तर कोरिया में बाघ का मांस परोसा जाना अब कोई आश्चर्य की बात नहीं रह गई है। वहां के लोग भालू और उदबिलाव जैसे जानवरों का शिकार भोजन के लिए कर रहे हैं। यह शिकार केवल शौक के लिए नहीं, बल्कि भूख की मजबूरी के कारण किया जा रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर कोरिया के लोग भुखमरी के कारण बाघ और भालू का मांस खाने पर मजबूर हैं।


भुखमरी और शिकार की स्थिति

उत्तर कोरिया में लंबे समय से चल रहे अकाल ने स्थिति को गंभीर बना दिया है। किम जोंग-उन के शासन में, जबकि कुछ लोगों को बेहतर जीवन मिल रहा है, अधिकांश लोग खाद्य संकट का सामना कर रहे हैं। इस संकट के कारण लोग दुर्लभ जानवरों का शिकार करने से भी नहीं चूक रहे हैं, जिससे कई प्रजातियाँ विलुप्त होने के कगार पर हैं।


नॉर्थ कोरिया से भागे लोगों की गवाही

वहाँ से निकले लोग , इंटरव्यू में हुआ खुलासा

कुछ लोगों ने जो उत्तर कोरिया से भागकर बाहर आए हैं, उन्होंने बताया कि वहां के जीवन स्तर के बारे में जानकारी साझा की है। यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के जोशुआ एल्वेस-पॉवेल ने बताया कि उत्तर कोरिया में हर प्रकार के जानवरों का शिकार किया जा रहा है, जिनका आमतौर पर उपभोग नहीं किया जाता।


भोजन शैली में बदलाव

अकाल की वजह से बदल गई है भोजन शैली

कम्युनिस्ट शासन के तहत वितरण प्रणाली के ध्वस्त होने के बाद, शिकार की गतिविधियाँ बढ़ गई हैं। 1990 के दशक के बाद पहली बार, उत्तर कोरियाई लोग भोजन की तलाश में भूखे रहने को मजबूर हैं।


बाघ के मांस का स्वाद

बाघों का स्वाद कैसा होता है?

बाघ का मांस सख्त और रेशेदार होता है, कभी-कभी इसका स्वाद मछली जैसा या बकरे और सूअर के मांस जैसा होता है। हालांकि, यह कभी भी लोकप्रिय व्यंजन नहीं रहा है। कुछ एशियाई देशों में इसकी दुर्लभता के कारण इसे महंगे दामों पर बेचा जाता है।