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उत्तराखंड में किंग कोबरा का आतंक: ग्रामीणों में दहशत

उत्तराखंड के ऊखीमठ में किंग कोबरा के आतंक ने ग्रामीणों को दहशत में डाल दिया है। इस विषैले सांप की मौजूदगी ने बच्चों की पढ़ाई पर भी असर डाला है। जानें कैसे वन विभाग ने इस स्थिति से निपटने के लिए कदम उठाए हैं और स्थानीय लोग किस तरह से सावधानी बरत रहे हैं।
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उत्तराखंड में किंग कोबरा का आतंक: ग्रामीणों में दहशत

किंग कोबरा का खतरनाक विचरण

उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले के ऊखीमठ में, जो भगवान केदारनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल है, एक खतरनाक मेहमान ने दहशत फैला दी है। किंग कोबरा नामक विषैले सांप की उपस्थिति ने स्थानीय निवासियों को चिंता में डाल दिया है। मस्तोली गदेरे और उसके आस-पास के क्षेत्रों में इस विशालकाय सांप का घूमना न केवल वयस्कों को सतर्क कर रहा है, बल्कि स्कूल जाने वाले बच्चों को भी घर से बाहर निकलने में हिचकिचा रहा है। इस घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है।


सांप की आक्रामकता और ग्रामीणों की चिंता

प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, किंग कोबरा ने जंगली इलाकों में अपना बसेरा बना लिया है। यह सांप फन फैलाकर घूमता हुआ दिखाई दे रहा है, जो उसकी आक्रामकता को दर्शाता है। छोटे सांपों, चूहों और मानसून में सक्रिय अन्य जीवों को यह अपना शिकार बना रहा है। कुछ ग्रामीणों ने साहस जुटाकर इसका वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें सांप खुले में तफ्तीश करता नजर आ रहा है। यह वीडियो सोशल मीडिया पर हजारों व्यूज बटोर चुका है, जिससे क्षेत्र की सुरक्षा पर सवाल उठ रहे हैं।


बच्चों की पढ़ाई पर असर

इस घटना का सबसे अधिक प्रभाव क्षेत्र के शैक्षणिक संस्थानों पर पड़ा है। विभिन्न स्कूलों और कॉलेजों के बच्चे डर के मारे घरों में कैद हो गए हैं। माता-पिता सुबह बच्चों को स्कूल छोड़ने जाते हैं, लेकिन लौटते समय हर कदम पर सतर्क रहते हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया कि गांव में संकरे रास्ते हैं और जंगल के निकट होने के कारण सांपों का खतरा हमेशा बना रहता है। किंग कोबरा को देखकर ग्रामीणों में भय व्याप्त है।


वन विभाग की कार्रवाई

घटना की सूचना मिलने पर नगर पंचायत ऊखीमठ और वन विभाग की टीमों ने क्षेत्र का दौरा किया। वन अधिकारियों ने ग्रामीणों को सर्प दंश से बचाव के उपाय बताए हैं, जैसे जूतों का उपयोग करना, लाठी से रास्ता टटोलना और सांप देखते ही शोर मचाकर भागना। विभाग ने सांप को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने के लिए ट्रैपिंग टीम तैनात करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और जंगलों की कटाई के कारण ऐसे विषैले जीव मानव बस्तियों में घुस रहे हैं।