एफडी ब्याज दरों पर RBI की कटौती का प्रभाव: जानें क्या करें

एफडी ब्याज दरों पर RBI की कटौती का प्रभाव
एफडी ब्याज दरों पर प्रभाव: हाल ही में RBI ने रेपो रेट में 50 बेसिस पॉइंट की कमी की है, जिसका लाभ आम जनता को मिलने वाला है। इस कटौती का सीधा असर लोन की ब्याज दरों पर पड़ेगा, और यह बैंकों की जमा ब्याज दरों को भी प्रभावित करेगा। इससे एफडी की ब्याज दरें घटने की संभावना है, इसलिए यह आपके लिए उच्च ब्याज दरों पर एफडी बुक करने का अंतिम अवसर हो सकता है।
ब्याज दरें: 6.5% से 7.25%
वर्तमान में कई सरकारी और निजी बैंक 5 साल की सावधि जमा पर 6.5% से 7.25% तक ब्याज प्रदान कर रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि भविष्य में ये दरें उपलब्ध नहीं होंगी।
एक बैंकर ने कहा, 'यदि आप एफडी में निवेश करने की सोच रहे हैं या आपकी एफडी मैच्योर होने वाली है, तो यह उच्च ब्याज दरों पर एफडी बुक करने का अंतिम मौका है।' विशेषज्ञों की सलाह है कि एफडी बुक करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
एफडी बुक करते समय ध्यान देने योग्य बातें
यदि आपका बैंक 3-5 साल की जमा पर 7% या उससे अधिक ब्याज दे रहा है, तो आपको इस दर पर कुछ राशि एफडी में अवश्य लगानी चाहिए। विशेषज्ञों का कहना है कि RBI ब्याज दरों में और कटौती कर सकता है, जिससे अगले 1-2 साल तक जमा पर ब्याज दरें कम रह सकती हैं।
इसलिए, सभी पैसे को एक ही एफडी में रखने के बजाय, विभिन्न मैच्योरिटी पीरियड वाली एफडी में निवेश करना बेहतर होगा। उदाहरण के लिए, यदि आपको ₹1 लाख की एफडी करवानी है, तो आप ₹33-33 हजार की तीन एफडी करवा सकते हैं, जिनकी मैच्योरिटी अवधि एक साल, 2 साल और 3 साल हो सकती है।
इससे लाभ यह होगा कि यदि 1 या 2 साल बाद दरें फिर से बढ़ती हैं, तो मैच्योरिटी के बाद आप एफडी के पैसे को नई एफडी में उच्च ब्याज दर पर निवेश कर सकते हैं। इसे बकेटिंग स्ट्रैटेजी कहा जाता है, जो आपको दरों में उतार-चढ़ाव से बचाती है।
वरिष्ठ नागरिकों के नाम पर एफडी बुक करें
बैंक वरिष्ठ नागरिकों को एफडी पर अधिक ब्याज देते हैं। यदि आप अपने बुजुर्ग माता-पिता के नाम पर एफडी बुक करते हैं, तो आपको 0.50% या उससे अधिक ब्याज मिल सकता है। इससे उन्हें एक अतिरिक्त वित्तीय सुरक्षा भी मिलेगी।
आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि माता-पिता के नाम पर एफडी बुक करते समय आपको नॉमिनी के रूप में अपना नाम देना होगा। कई लोग अपने माता-पिता के नाम पर एफडी तो करवा लेते हैं, लेकिन नॉमिनी के रूप में उनका नाम देना भूल जाते हैं। ऐसी स्थिति में पैसे निकालने में कठिनाई हो सकती है।
ऑटो रिन्यूअल का विकल्प न चुनें
एफडी करवाते समय आपको ऑटो रिन्यूअल का विकल्प नहीं चुनना चाहिए। ऐसा करने से मैच्योर होने पर बैंक स्वचालित रूप से आपकी एफडी को रिन्यू कर देता है। इससे आपको यह अवसर नहीं मिलता कि आप किसी अन्य बैंक में एफडी खोलकर अधिक ब्याज प्राप्त कर सकें।