ऑटो उद्योग की नई रणनीति: चुनौतियों को अवसर में बदलने की दिशा में कदम

ऑटो उद्योग की चुनौतियाँ: वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में बड़ा संकल्प
ऑटो उद्योग की चुनौतियाँ: वैश्विक केंद्र बनने की दिशा में बड़ा संकल्प: ऑटो उद्योग ने वैश्विक परिवर्तनों के बीच नई रणनीतियाँ विकसित की हैं।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (एसीएमए) ने शुक्रवार को बताया कि भू-राजनीतिक अस्थिरता और नए व्यापार समझौतों के चलते महत्वपूर्ण कच्चे माल जैसे दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक, सेमीकंडक्टर और बैटरी की सुरक्षा के लिए सरकार के साथ मिलकर काम करना आवश्यक है। यह कदम भारत को ऑटो उद्योग का वैश्विक केंद्र बनाने में महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।
चुनौतियों को अवसर में बदलने की तैयारी
एसीएमए की अध्यक्ष श्रद्धा सूरी मारवाह ने वार्षिक सत्र में कहा कि ऑटो उद्योग ने हर चुनौती को अवसर में बदलने का संकल्प लिया है। उनका मानना है कि भारत को एक विश्वसनीय और प्रतिस्पर्धी वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना आवश्यक है।
उन्होंने बताया कि महत्वपूर्ण कच्चे माल की उपलब्धता, जैसे दुर्लभ पृथ्वी चुम्बक, सेमीकंडक्टर और बैटरी सामग्री, अब एक रणनीतिक मुद्दा बन गया है, जिस पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता है।
वैश्विक चुनौतियों का सामना
मारवाह ने कहा कि ऑटो उद्योग एक ऐसे मोड़ पर है, जहाँ अवसर तो बहुत हैं, लेकिन चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं।
भू-राजनीतिक अस्थिरता, व्यापार युद्ध, शुल्क में वृद्धि और निर्यात प्रतिबंध जैसी समस्याएँ आपूर्ति श्रृंखला को प्रभावित कर रही हैं। इन परिस्थितियों में उद्योग को नई रणनीतियाँ बनानी होंगी ताकि आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत और लचीला बनाया जा सके।
सरकार के साथ साझेदारी की आवश्यकता
उन्होंने यह भी कहा कि महत्वपूर्ण कच्चे माल की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सरकार और उद्योग के बीच गहरी साझेदारी आवश्यक है।
सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) के अध्यक्ष शैलेश चंद्रा ने भी इस विचार का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि आपूर्ति श्रृंखलाओं को लागत के अनुसार चुस्त, विविध और किसी भी व्यवधान का सामना करने में सक्षम बनाना होगा। इसके लिए संसाधन संपन्न देशों के साथ साझेदारी करके वैकल्पिक आपूर्ति चैनल बनाना आवश्यक है।