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कर्नाटक में हृदयाघात से बढ़ी चिंता: जयदेव अस्पताल में मरीजों की लंबी कतारें

कर्नाटक के हसन जिले में अचानक हृदयाघात से हुई मौतों ने चिंता का माहौल बना दिया है। हजारों लोग जयदेव अस्पताल में जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं, जिससे अस्पताल में भीड़ बढ़ गई है। डॉक्टरों ने जनता से अपील की है कि वे घबराकर केवल एक अस्पताल की ओर न भागें। इस स्थिति को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है। जानें इस मामले में और क्या हो रहा है।
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कर्नाटक में हृदयाघात से बढ़ी चिंता: जयदेव अस्पताल में मरीजों की लंबी कतारें

हृदयाघात से हड़कंप

हाल ही में कर्नाटक के हसन जिले में अचानक हृदयाघात के कारण हुई मौतों ने पूरे राज्य में चिंता का माहौल बना दिया है। इन घटनाओं के बाद, हजारों लोग मैसूर के प्रसिद्ध जयदेव अस्पताल में हृदय संबंधी जांच कराने के लिए पहुंच रहे हैं। अस्पताल के बाहर सुबह से ही लंबी कतारें देखी जा रही हैं, जहां लोग बाह्य रोगी परामर्श (OPD) के लिए अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं.


डॉक्टरों की अपील

जयदेव अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. के.एस. सदानंद ने बताया कि मीडिया में आई खबरों के चलते लोगों में घबराहट फैल गई है, जिससे मरीजों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। उन्होंने जनता से अनुरोध किया कि वे अफवाहों के आधार पर केवल जयदेव अस्पताल की ओर न भागें। डॉ. सदानंद ने कहा, "यह सच है कि अचानक हृदयाघात के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है, लेकिन हर किसी को सिर्फ एक अस्पताल में जांच कराने की आवश्यकता नहीं है। लोग अपने नजदीकी अस्पतालों में भी जांच करा सकते हैं।"


लाइफस्टाइल में बदलाव की आवश्यकता

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि एक बार की जांच हृदय संबंधी जोखिम को पूरी तरह समाप्त नहीं कर सकती। इसके लिए जीवनशैली में बदलाव आवश्यक है, जैसे संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, तनाव प्रबंधन और धूम्रपान व शराब से दूरी बनाना। यदि सभी लोग केवल जयदेव अस्पताल ही आते रहे, तो इससे गंभीर मरीजों का इलाज प्रभावित हो सकता है।


बढ़ते मरीजों की संख्या

बेंगलुरु और मैसूर की जयदेव अस्पताल शाखाओं में मरीजों की संख्या में काफी वृद्धि देखी गई है। बेंगलुरु स्थित अस्पताल में लगभग 8 प्रतिशत अधिक मरीज आ रहे हैं। यह रुझान हसन जिले में 40 दिनों के भीतर दिल के दौरे से हुई 23 मौतों के बाद शुरू हुआ। मृतकों में से छह की उम्र 19 से 25 साल और आठ की उम्र 25 से 45 साल के बीच थी, जिससे युवाओं में भी डर फैल गया है।


विशेषज्ञ समिति का गठन

इस गंभीर स्थिति को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया है, जिसकी अध्यक्षता जयदेव हृदय रोग संस्थान के निदेशक डॉ. के.एस. रवींद्रनाथ कर रहे हैं। समिति ने हाल ही में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी है, जिसमें हसन जिले को एक अलग केस स्टडी के रूप में देखने और स्थानीय कारणों की विस्तृत जांच की सिफारिश की गई है।


राज्य सरकार का आश्वासन

राज्य सरकार ने आश्वासन दिया है कि इस रिपोर्ट के आधार पर नीतिगत कदम उठाए जाएंगे, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।