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कर्नाटक सरकार का नया बिल: घरेलू कामगारों के लिए 5% वेलफेयर फीस अनिवार्य

कर्नाटक सरकार ने घरेलू कामगारों के लिए एक नया बिल लाने की योजना बनाई है, जिसमें नियोक्ताओं को कामगारों की तनख्वाह का 5% वेलफेयर फीस के रूप में देना होगा। यह कदम घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा और न्यूनतम वेतन प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। जानें इस बिल के तहत क्या-क्या सुविधाएं मिलेंगी और नियोक्ताओं के लिए क्या नए नियम होंगे।
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कर्नाटक सरकार का नया बिल: घरेलू कामगारों के लिए 5% वेलफेयर फीस अनिवार्य

कर्नाटक में घरेलू कामगारों के लिए नया कानून

बेंगलुरु: आजकल शहरों में घरेलू कामकाज बिना मेड, कुक, ड्राइवर या नैनी के करना लगभग असंभव हो गया है। लेकिन कर्नाटक सरकार का नया कदम इस सुविधा को महंगा बना सकता है। राज्य सरकार घरेलू कामगारों के लिए एक नया बिल लाने की योजना बना रही है, जिसके तहत नियोक्ताओं को कामगारों की तनख्वाह का 5% वेलफेयर फीस के रूप में देना होगा। इसके साथ ही, हर कामगार और नियोक्ता का सरकारी डिजिटल पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा।


कर्नाटक सरकार का कहना है कि घरेलू कामगारों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, लेकिन यह क्षेत्र अब तक असंगठित है। इसके परिणामस्वरूप, कामगारों को अक्सर अनियमित वेतन, सामाजिक सुरक्षा की कमी और शोषण का सामना करना पड़ता है। सरकार का दावा है कि इस बिल के माध्यम से उन्हें न्यूनतम वेतन, सामाजिक सुरक्षा और कल्याण योजनाओं का सीधा लाभ मिलेगा।


रजिस्ट्रेशन और फीस का प्रक्रिया
ड्राफ्ट बिल के अनुसार, हर कामगार, नियोक्ता, एजेंसी और ऐप-आधारित प्लेटफॉर्म को रजिस्ट्रेशन कराना होगा। नियोक्ता या एजेंसी को वेतन का 5% तक वेलफेयर फीस सरकार के फंड में जमा करनी होगी। यह राशि डिजिटल ट्रांजैक्शन के माध्यम से हर तिमाही या छह महीने में जमा करनी होगी। यदि जमा की गई राशि और अपलोड किए गए स्टेटमेंट में कोई अंतर पाया गया, तो नियोक्ता पर जुर्माना लगाया जाएगा।


घरेलू कामगारों को मिलने वाले लाभ
इस फंड से कर्नाटक स्टेट डोमेस्टिक वर्कर्स सोशल सिक्योरिटी एंड वेलफेयर बोर्ड का गठन होगा, जो निम्नलिखित सुविधाओं का प्रावधान करेगा:


कार्यस्थल पर चोट लगने पर मुआवजा
मेडिकल खर्च की भरपाई
पेंशन और शिक्षा सहायता
मातृत्व लाभ, साप्ताहिक अवकाश और वार्षिक छुट्टी
ट्रेनिंग और स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम
अंतिम संस्कार सहायता
नियोक्ताओं के लिए नए नियम


बिल के अनुसार, बिना लिखित एग्रीमेंट के घरेलू कामगार रखना गैरकानूनी होगा। एग्रीमेंट में वेतन, कार्य घंटे, छुट्टियां और वेलफेयर फीस का स्पष्ट उल्लेख होना आवश्यक होगा। राज्य के श्रम मंत्री संतोष लाड ने कहा, “हम घरेलू कामगारों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना चाहते हैं। इस असंगठित क्षेत्र में खासकर महिलाएं शोषण का शिकार होती हैं।” वहीं, सामाजिक कार्यकर्ता रूथ मनोरमा ने कहा, “सालों की मांग के बाद यह बिल आ रहा है। यह सराहनीय है, लेकिन कुछ संशोधन की आवश्यकता होगी।”