कर्नाटक हाईकोर्ट का निर्देश: बाइक टैक्सी ड्राइवरों को परेशान न करने का आदेश

कर्नाटक हाईकोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय
कर्नाटक उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया है कि जब तक ऐप-आधारित बाइक टैक्सी सेवाओं से संबंधित कानूनी मुद्दों का समाधान नहीं हो जाता, तब तक किसी भी व्यक्तिगत बाइक टैक्सी चालक को परेशान नहीं किया जाएगा। यह आदेश शुक्रवार को मुख्य न्यायाधीश विभु बखरु और न्यायमूर्ति सी.एम. जोशी की एक बेंच द्वारा दिया गया।इस मामले की शुरुआत तब हुई जब एडवोकेट जनरल के. शशि किरण शेट्टी ने अदालत को बताया कि कुछ एग्रीगेटर्स ने बिना किसी स्पष्ट अनुमति के बाइक टैक्सी सेवाएं फिर से शुरू कर दी हैं। वहीं, बाइक टैक्सी ड्राइवरों के वकील गिरीश कुमार ने कहा कि सरकार केवल ऐप-आधारित सेवाओं को ही नहीं, बल्कि व्यक्तिगत ऑपरेटरों के वाहनों को भी जब्त कर रही है। इस पर एडवोकेट जनरल ने स्पष्ट किया कि वे व्यक्तिगत ड्राइवरों को गिरफ्तार नहीं कर रहे हैं।
बाइक टैक्सी कंपनी के वकील उदय होला ने एक ऐसा मॉडल पेश किया जिसमें ड्राइवर एग्रीगेटर्स के कमीशन के बिना उचित किराया वसूल कर सकें। हालांकि, बेंच ने इस पर कोई टिप्पणी नहीं की और मामले की अगली सुनवाई 22 सितंबर को निर्धारित की गई।
यह मामला इस साल 2 अप्रैल को जस्टिस बी.एम. श्याम प्रसाद के एक फैसले से जुड़ा है, जिसमें ओला, उबर और रैपिडो जैसी कंपनियों को 16 जून तक अपनी सेवाएं बंद करने का आदेश दिया गया था।
डिवीजन बेंच ने पहले भी सरकार द्वारा लगाए गए पूर्ण प्रतिबंध को "कानूनी रूप से गलत" बताया था। बेंच ने यह भी कहा कि लगभग 6 लाख परिवार बाइक टैक्सी पर निर्भर हैं, और उनके रोजगार का छिनना उचित नहीं है। अदालत ने सरकार को नीति बनाने के लिए एक महीने का समय दिया था और चेतावनी दी थी कि एक वैध व्यापार पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगाना संविधान के अनुच्छेद 14 और 19(1)(जी) का उल्लंघन है।
हालांकि, इस प्रतिबंध के बावजूद, कुछ एग्रीगेटर्स ने अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर दीं, जिससे ऑटो-रिक्शा यूनियनों ने विरोध किया और प्राइवेट ट्रांसपोर्ट फेडरेशन ने परिवहन मंत्री रामलिंग रेड्डी से शिकायत की।