किडनी और लिवर की सेहत पर खाने-पीने की आदतों का प्रभाव

खाने की आदतें और किडनी-लिवर स्वास्थ्य
स्वास्थ्य टिप्स: हमारी दैनिक खान-पान की आदतें किडनी और लिवर की सेहत पर गहरा असर डालती हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि फास्ट फूड का बढ़ता चलन, जंक फूड की लत और बिना सलाह के हाई-प्रोटीन डाइट सभी उम्र के लोगों को गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं की ओर ले जा रही हैं। वास्तव में, खराब आहार के कारण किडनी और लिवर की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। आइए जानते हैं इस पर डॉक्टरों की राय।
जंक फूड और हाई-प्रोटीन डाइट का प्रभाव
आकाश हेल्थकेयर के नेफ्रोलॉजिस्ट डॉ. विकास अग्रवाल के अनुसार, जंक फूड में मौजूद तेल, नमक और चीनी शरीर में फैट जमा करते हैं और मेटाबॉलिज्म को प्रभावित करते हैं। इसका सीधा असर लिवर पर पड़ता है, जिससे फैटी लिवर डिजीज के मामले बढ़ रहे हैं।
इसके अलावा, बिना आवश्यकता के हाई-प्रोटीन डाइट लेना भी खतरनाक है। विशेषज्ञ बताते हैं कि जब शरीर अधिक प्रोटीन का सेवन करता है, तो किडनी पर अत्यधिक दबाव पड़ता है, जिससे किडनी फेलियर का खतरा बढ़ सकता है।
लक्षणों की पहचान
किडनी और लिवर से संबंधित बीमारियों के प्रारंभिक लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन इन्हें नजरअंदाज करना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है।
- लगातार थकान महसूस होना।
- चेहरे या पैरों में सूजन आना।
- पेशाब में झाग या बार-बार पेशाब आना।
- पेट में भारीपन और भूख कम लगना।
- त्वचा पर खुजली और पीलापन दिखना।
विशेषज्ञों का कहना है कि ये संकेत शरीर की चेतावनी हैं, जिन्हें समझकर तुरंत जांच करानी चाहिए।
डॉक्टरों की सलाह
डॉक्टरों का कहना है कि लोग अक्सर मानते हैं कि हाई-प्रोटीन डाइट केवल मसल्स बनाने में मदद करती है, लेकिन वे यह भूल जाते हैं कि इसका बोझ किडनी पर पड़ता है। जिनकी किडनी पहले से कमजोर है, उनके लिए यह डाइट जानलेवा हो सकती है।
डॉक्टरों के अनुसार, लिवर शरीर का सबसे सक्रिय अंग है, जो हर दिन टॉक्सिन्स को बाहर निकालता है। जंक फूड, अधिक शराब और अनियमित दिनचर्या लिवर को धीरे-धीरे नुकसान पहुंचाती है। फैटी लिवर आजकल एक आम समस्या बन चुकी है, और यदि इसे नजरअंदाज किया गया, तो यह सिरोसिस या लिवर कैंसर का कारण बन सकता है।
बचाव के उपाय
विशेषज्ञों की सलाह है कि ताजे फल, सब्जियां, पर्याप्त पानी और संतुलित प्रोटीन का सेवन किडनी और लिवर को सुरक्षित रख सकता है। इसके अलावा, नियमित रूप से ब्लड टेस्ट और सालाना यूरिन टेस्ट और अल्ट्रासाउंड करवाना चाहिए।