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किडनी ट्रांसप्लांट के जरिए भाई-बहन के अटूट प्रेम की कहानी

किरणभाई पटेल की कहानी एक प्रेरणादायक उदाहरण है कि कैसे परिवार का समर्थन जीवन को बदल सकता है। किडनी फेल होने के बाद, उनकी चार बहनों ने उन्हें जीवनदान देने का निर्णय लिया। जानें कैसे सुशीलाबेन ने अपनी किडनी दान की और इस प्रक्रिया ने भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत किया। यह कहानी न केवल अंगदान के महत्व को दर्शाती है, बल्कि भाई-बहन के अटूट प्रेम का भी प्रतीक है।
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किरणभाई पटेल का संघर्ष और बहनों का समर्थन

गांधीनगर के निवासी किरणभाई पटेल के लिए रक्षाबंधन का त्योहार विशेष महत्व रखता है। दो वर्ष पूर्व, उनकी किडनी फेल होने के कारण उनकी जान संकट में आ गई थी। चिकित्सकों ने स्पष्ट रूप से कहा था कि किडनी ट्रांसप्लांट ही एकमात्र समाधान है। इस कठिन समय में, उनका पूरा परिवार सदमे में था। उनके बेटे और बेटी ऑस्ट्रेलिया में थे, जबकि उनकी पत्नी ईश्वर से प्रार्थना कर रही थीं। इस संकट के समय में, किरणभाई की चार बड़ी बहनें उनके लिए एक सुरक्षा कवच बनकर खड़ी रहीं।
किरणभाई डायलिसिस पर थे और किडनी ट्रांसप्लांट का इंतज़ार कर रहे थे। जब बहनों को उनकी स्थिति का पता चला, तो उन्होंने अपनी किडनी दान करने की इच्छा व्यक्त की। बड़ी बहन कनाडा से भारत आईं, लेकिन डॉक्टरों ने उम्र और रक्तचाप की समस्याओं के कारण उन्हें मना कर दिया। अन्य बहनों ने भी स्वास्थ्य कारणों से किडनी दान नहीं कर सकीं। अंततः, दूसरी बहन सुशीलाबेन की किडनी मैच हो गई और तुरंत ऑपरेशन का निर्णय लिया गया। किरणभाई ने कहा कि उनके जीजा भूपेंद्रभाई हमेशा उनकी बहन के साथ रहते थे और उनका हौसला बढ़ाते थे। उनके सहयोग के कारण ही सुशीलाबेन ने उन्हें अपनी किडनी दी। सुशीलाबेन ने बताया कि उनके ससुराल वालों और पूरे परिवार ने उनका समर्थन किया।
अहमदाबाद के सरकारी किडनी अस्पताल (आईकेडीआरसी) में सफल ऑपरेशन के बाद, किरणभाई पिछले डेढ़ साल से स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। पिछले तीन वर्षों में, लगभग 20 बहनों ने अपने भाइयों को और 3 भाइयों ने अपनी बहनों को इस अस्पताल में किडनी दान की है। यह न केवल अंगदान का एक उदाहरण है, बल्कि भाई-बहन के बीच अटूट प्रेम का भी प्रतीक है।