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किसान रेड लेडी 76 पपीते से कमा रहे लाखों, मुनाफा 10 गुना तक

मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में किसान अब रेड लेडी 76 पपीते की खेती से लाखों कमा रहे हैं। यह फसल न केवल कम लागत में उगाई जा रही है, बल्कि इसकी मांग भी तेजी से बढ़ रही है। जानें कैसे यह खेती पारंपरिक फसलों की तुलना में अधिक लाभकारी साबित हो रही है और किसानों को आत्मनिर्भर बना रही है।
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किसान रेड लेडी 76 पपीते से कमा रहे लाखों, मुनाफा 10 गुना तक

पपीते की खेती से किसानों को हो रहा लाभ

कृषि समाचार: रेड लेडी 76 किस्म से किसान कमा रहे लाखों, मुनाफा 10 गुना तक: मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में अब पपीते की खेती किसानों की पहली पसंद बनती जा रही है। पहले यह क्षेत्र कपास और लाल मिर्च के लिए जाना जाता था, लेकिन अब नर्मदा किनारे के कसरावद क्षेत्र में पपीते के बाग बिखर गए हैं।


कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, जिले में लगभग 40,000 हेक्टेयर में पपीते की खेती की जा रही है। यह फसल साल भर फल देती है, जिससे किसानों को निरंतर आय होती है। पारंपरिक फसलों की तुलना में इसकी लागत कम और मुनाफा कई गुना अधिक है।


रेड लेडी 76: कम लागत, अधिक लाभ


खरगोन कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. एसके त्यागी के अनुसार, जुलाई और अगस्त का महीना पपीते की पौध लगाने के लिए सबसे उपयुक्त है। किसान नर्सरी से पौधे खरीदकर आसानी से अपने बाग का आरंभ कर सकते हैं।


रेड लेडी 76 किस्म जल्दी फल देती है और इसकी मांग स्थानीय मंडियों से लेकर बड़े शहरों तक बनी रहती है। एक हेक्टेयर में पौधे लगाने पर लगभग ₹40,000 से ₹50,000 का खर्च आता है, जबकि सालाना आय ₹1.5 से ₹2 लाख तक हो सकती है।


पारंपरिक खेती से बागवानी की ओर बदलाव


कई किसान अब कपास और मिर्च जैसी पारंपरिक फसलों को छोड़कर पपीते की खेती की ओर बढ़ रहे हैं। इसकी मुख्य वजह कम लागत और निरंतर आय है। इसके अलावा, बाजार में इसकी मांग तेजी से बढ़ रही है, जिससे किसानों को बिक्री में कोई कठिनाई नहीं होती।


रेड लेडी 76 किस्म की बढ़ती लोकप्रियता और उत्पादन क्षमता ने किसानों को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक नई राह दिखाई है। यदि सही समय पर पौधारोपण किया जाए और वैज्ञानिक सलाह ली जाए, तो यह खेती एक सफल व्यवसाय बन सकती है।