किसानों की आय दोगुनी करने का रहस्य: एकीकृत कृषि प्रणाली

एकीकृत कृषि प्रणाली: किसानों के लिए नई उम्मीद
एकीकृत कृषि प्रणाली (Integrated Farming System) छोटे किसानों के लिए आत्मनिर्भरता की ओर एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रणाली खेती, पशुपालन, मछली पालन और बागवानी को एक साथ मिलाकर आय के विभिन्न स्रोतों का निर्माण करती है। उत्तर भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में, जहां छोटे और सीमांत किसान सीमित भूमि और अनिश्चित मौसम की चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, यह प्रणाली स्थिरता और समृद्धि का आश्वासन देती है।
IFS: समग्र खेती का एक प्रभावी मॉडल
एकीकृत कृषि प्रणाली (IFS) एक ऐसा दृष्टिकोण है, जिसमें फसल उत्पादन, पशुपालन, मछली पालन और कृषि वानिकी को एक-दूसरे के पूरक के रूप में विकसित किया जाता है। यह मॉडल अपशिष्ट प्रबंधन पर जोर देता है, जैसे कि गोबर को खाद या बायोगैस में परिवर्तित करना, जिससे संसाधनों का अधिकतम उपयोग संभव होता है।
छोटे किसानों के लिए IFS का महत्व
उत्तर भारत में 86% से अधिक किसान छोटे या सीमांत श्रेणी में आते हैं। सूखा, बाढ़ और बाजार में उतार-चढ़ाव उनके लिए बड़ी चुनौतियाँ हैं। पारंपरिक खेती, जैसे गेहूं-धान, अब उतनी लाभकारी नहीं रह गई है। IFS इन किसानों को वैकल्पिक आय के अवसर प्रदान करता है।
चुनौतियाँ और उनके समाधान
हालांकि एकीकृत कृषि प्रणाली के कई लाभ हैं, लेकिन इसे अपनाने में कुछ बाधाएँ भी हैं। प्रारंभिक लागत, जैसे तालाब या बाड़े का निर्माण, तकनीकी जानकारी की कमी और बाजार तक पहुँच की समस्याएँ रुकावट बन सकती हैं। इन समस्याओं का समाधान सरकारी योजनाओं और कृषि विज्ञान केंद्रों के माध्यम से किया जा सकता है।