कुरुक्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं पर रोकथाम के लिए प्रशासन की नई पहल

कुरुक्षेत्र में पराली जलाने की रोकथाम
कुरुक्षेत्र, फसल अवशेष जलाना: कुरुक्षेत्र में पराली जलाने की घटनाओं को नियंत्रित करने के लिए जिला प्रशासन ने ठोस कदम उठाने का निर्णय लिया है। हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के हरसैक ने पिछले वर्ष जिले में 132 आगजनी की घटनाओं की सूचना दी थी, लेकिन कृषि विभाग ने इनमें से केवल 72 को मान्यता दी। इस कारण 181 रेड एंट्री दर्ज की गई। हरसैक और कृषि विभाग के आंकड़ों में असंगति ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। अब प्रशासन का लक्ष्य है कि खरीफ 2025 में आगजनी की घटनाओं को पूरी तरह समाप्त किया जाए। इसके लिए कठोर उपाय किए जा रहे हैं।
बोगस आंकड़ों पर उठते सवाल
हरसैक द्वारा दी गई 132 आगजनी की सूचनाओं में से केवल 72 को सही मानने पर सवाल उठ रहे हैं। यह अंतर यह दर्शाता है कि क्या हरसैक ने गलत जानकारी दी या कृषि विभाग ने सही आंकड़े प्रस्तुत नहीं किए। उपायुक्त विश्राम कुमार मीणा ने कृषि अधिकारियों की बैठक में सख्त निर्देश दिए कि आगजनी की घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उन्होंने पिछले वर्ष के आंकड़ों की समीक्षा की और हरसैक के डेटा पर त्वरित कार्रवाई करने का आदेश दिया।
सख्त रोकथाम की तैयारी
उच्चतम न्यायालय और राष्ट्रीय हरित ट्रिब्यूनल ने NCR में बढ़ते प्रदूषण के मद्देनजर सख्त रुख अपनाया है। इसके तहत जिला प्रशासन ने बीएनएस 2023 की धारा 163 लागू की है। आगजनी की निगरानी के लिए विशेष इंफोर्समेंट टीमें गठित की गई हैं। उपायुक्त ने कहा कि यदि कोई किसान पराली जलाते हुए पकड़ा गया, तो उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। पुलिस प्रशासन को भी अपने क्षेत्रों में आगजनी की घटनाओं के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
जागरूकता और सम्मान की योजना
कृषि विभाग अब घर-घर जाकर किसानों को पराली जलाने के दुष्प्रभावों के बारे में जागरूक करेगा। संवेदनशील गांवों में अधिकारी व्यक्तिगत रूप से किसानों से मिलकर जानकारी देंगे। उपनिदेशक डॉ. कर्मचंद ने बताया कि पराली जलाने से पर्यावरण और किसानों दोनों को हानि होती है। इसके बजाय, इन-सीटू और एक्स-सीटू तरीकों से पराली का प्रबंधन करने की सलाह दी जा रही है। इसके अतिरिक्त, गीता जयंती पर पेंटिंग, जिंगल, स्लोगन, रील और निबंध प्रतियोगिताओं में भाग लेने वालों को सम्मानित करने की योजना भी बनाई गई है।