कुरुक्षेत्र में प्रदूषण का बढ़ता संकट: स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव
कुरुक्षेत्र में वायु गुणवत्ता की स्थिति
कुरुक्षेत्र, (Kurukshetra AQI): कुरुक्षेत्र में वायु प्रदूषण ने लोगों को सांस लेने में कठिनाई का सामना करवा दिया है। वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 205 तक पहुँच गया है, जो कि खराब श्रेणी में आता है। जैसे ही लोग बाहर निकलते हैं, उन्हें सांस लेने में कठिनाई और आंखों में जलन का अनुभव होता है। इस स्थिति का सबसे बुरा असर बुजुर्गों, बच्चों और दमा के मरीजों पर पड़ रहा है।
अस्पतालों में मरीजों की बढ़ती संख्या
प्रदूषण के बढ़ते स्तर के कारण बुजुर्गों, बच्चों और दमा के रोगियों को अधिक परेशानी हो रही है। जिला नागरिक अस्पताल में फिजिशियन और नेत्र रोग की ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि देखी गई है। सामान्य दिनों में यहां 200 से 250 मरीज आते थे, लेकिन अब यह संख्या रोजाना 350 से 400 तक पहुँच गई है।
अस्पतालों में भीड़
जिला नागरिक अस्पताल में फिजिशियन और नेत्र रोग की ओपीडी में मरीजों की संख्या में वृद्धि हो रही है। पहले यहां रोजाना 200-250 मरीज आते थे, अब यह संख्या 350-400 तक पहुँच गई है। डॉक्टरों के कक्ष से लेकर दवा काउंटर तक भीड़ बढ़ गई है। प्रदूषण के कारण खांसी, सांस फूलने और आंखों में जलन की शिकायतें आम हो गई हैं।
AQI स्केल: खतरनाक स्तर
विशेषज्ञों के अनुसार, पर्टिकुलेट मैटर (PM 10) ऐसे कण होते हैं जिनका व्यास 10 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर होता है। ये कण हवा में ऑक्सीजन के स्तर को प्रभावित करते हैं। एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्केल इस प्रकार है: 1 से 100 तक अच्छा, 100 से 200 तक ठीक, 200 से 300 तक खराब, 300 से 400 तक बहुत खराब और 400 से 500 तक खतरनाक श्रेणी में आता है।
डॉक्टरों की चेतावनी
जिला अस्पताल के वरिष्ठ चेस्ट एंड टीबी रोग विशेषज्ञ डॉ. गौरव चावला ने बताया कि बढ़ता प्रदूषण उन लोगों के लिए खतरनाक है जिनको पहले से सांस की समस्याएं हैं। इसके अलावा, प्रदूषित हवा के संपर्क में रहना स्वस्थ लोगों में भी बीमारियों को बढ़ा सकता है। धुएं के कारण आंखों में जलन और सांस लेने में कठिनाई होती है। ऐसे मौसम में फेफड़ों की बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है।
