केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का खतरा: जानें लक्षण और बचाव के उपाय

केरल में दिमाग खाने वाले अमीबा का प्रसार
Brain Eating Amoeba Kerala: केरल में एक खतरनाक 'दिमाग खाने वाले अमीबा' का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इस बीमारी के कारण राज्य में हाई अलर्ट घोषित किया गया है, क्योंकि अब तक 70 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं, जिनमें से 19 की मृत्यु हो चुकी है। सितंबर में ही 9 लोगों ने इस बीमारी के कारण अपनी जान गंवाई है। संक्रमितों में 3 महीने के नवजात से लेकर 90 साल तक के बुजुर्ग शामिल हैं। राज्य की स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने इस अमीबा को गंभीर चिंता का विषय बताया है और कहा है कि यह संक्रमण अब केवल कोझिकोड और मलप्पुरम तक सीमित नहीं रहा, बल्कि पूरे राज्य में फैल चुका है।
प्राइमरी टाइप का संक्रमण
प्राइमरी टाइप का संक्रमण केरल में फैला
राज्य में अमीबा के प्राइमरी अमीबिक मेनिंगोएन्सेफलाइटिस (PAM) प्रकार का संक्रमण फैल रहा है। डॉक्टर अल्ताफ अली के अनुसार, यदि यह अमीबा दिमाग तक पहुंच जाए, तो यह जानलेवा हो सकता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण एवं रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, यह संक्रमण अत्यंत दुर्लभ और घातक है। 1962 से अब तक विश्वभर में इसके लगभग 500 मामले सामने आए हैं, जिनमें से अधिकांश अमेरिका, भारत, पाकिस्तान और ऑस्ट्रेलिया में पाए गए हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस बीमारी के प्रति चेतावनी जारी की है।
दिमाग खाने वाला अमीबा क्या है?
‘दिमाग खाने वाला अमीबा’ क्या है?
यह एक दुर्लभ संक्रमण है, जो नेग्लेरिया फाउलेरी नामक सूक्ष्म जीव के कारण गर्म और मीठे पानी की झीलों, नदियों और तालाबों में विकसित होता है। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नहीं फैलता, बल्कि दूषित पानी के नाक में जाने से होता है। स्विमिंग पूल और क्लोरीनयुक्त टैंकों में भी यह अमीबा पनप सकता है। यह दिमाग के ऊतकों पर हमला करता है और सूजन पैदा करता है, जिससे जान का खतरा होता है। तैराकों और गोताखोरों को इससे विशेष रूप से खतरा होता है।
अमीबा संक्रमण के लक्षण
क्या हैं अमीबा संक्रमण के लक्षण?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, अमीबा संक्रमण के लक्षण बैक्टीरियल मैनिंजाइटिस के समान होते हैं। इसके लक्षण संक्रमण के 10 दिन के भीतर प्रकट होते हैं, जिसमें सिरदर्द, बुखार, मतली और उल्टी शामिल हैं। जैसे-जैसे संक्रमण बढ़ता है, मरीजों का दिमाग सूज जाता है और गर्दन में अकड़न, भ्रम, दौरे, और संतुलन की कमी हो सकती है। अंततः मरीज कोमा में जा सकता है या उसकी जान भी जा सकती है। वैश्विक स्तर पर, अमीबा से मृत्यु दर लगभग 97 प्रतिशत है, जबकि केरल में इस साल यह दर लगभग 24 प्रतिशत है।
अमीबा संक्रमण से बचाव के उपाय
अमीबा संक्रमण से कैसे करें बचाव?
अमीबा संक्रमण का कोई निश्चित इलाज नहीं है। केरल के डॉक्टरों का सुझाव है कि इस संक्रमण से बचने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए। लोगों को मीठे पानी की नदियों, तालाबों और झीलों में तैरने से बचना चाहिए। तैरते समय नाक पर क्लिप लगाना या सिर को पानी से ऊपर रखना चाहिए। नाक या मुंह धोने के लिए केवल उबला हुआ और ठंडा किया हुआ पानी इस्तेमाल करें। स्विमिंग पूल और घरेलू टैंकों का पानी साफ रखें और उसका क्लोरीनेशन करें। खुले घावों को साधारण पानी या मिट्टी के संपर्क में आने से बचाएं।