कैप्टन विक्रम बत्रा: कारगिल के नायक की अदम्य साहस की कहानी

कैप्टन विक्रम बत्रा का बलिदान
नई दिल्ली: कैप्टन विक्रम बत्रा, एक ऐसा नाम है जो शौर्य, बलिदान और देशभक्ति का प्रतीक बन गया है। कारगिल युद्ध के दौरान दुर्गम चोटियों पर विजय प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा ने न केवल दुश्मनों को पराजित किया, बल्कि अपने अदम्य साहस और नेतृत्व से करोड़ों भारतीयों के दिलों को छू लिया। हिमाचल प्रदेश की वादियों से उठकर तिरंगे की शान के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले 'शेरशाह' ने यह साबित कर दिया कि वतन से बढ़कर कुछ नहीं। 7 जुलाई को उन्होंने देश की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दी और इतिहास में अमर हो गए।
कैप्टन विक्रम बत्रा का जन्म 9 सितंबर 1974 को हिमाचल प्रदेश के पालमपुर के निकट घुग्गर गांव में एक पंजाबी-खत्री परिवार में हुआ। उनके पिता जीएल बत्रा एक स्कूल प्रिंसिपल थे और माता जय कमल बत्रा एक शिक्षिका थीं।
विक्रम बत्रा ने 1996 में मानेकशॉ बटालियन की जेसोर कंपनी में देहरादून में भारतीय मिलिट्री अकादमी में दाखिला लिया। प्रशिक्षण के बाद उन्हें जम्मू-कश्मीर के सोपोर में 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स के लेफ्टिनेंट के रूप में भारतीय सेना में कमीशन दिया गया। बाद में वे कैप्टन के पद तक पहुंचे।
1999 में जब कारगिल युद्ध शुरू हुआ, विक्रम बत्रा भारतीय सेना की 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स में तैनात थे। पॉइंट 5140 पर विजय के बाद, 13 जम्मू-कश्मीर राइफल्स का अगला लक्ष्य पॉइंट 4875 पर कब्जा करना था। जब 5140 पॉइंट पर कब्जा हुआ, कैप्टन बत्रा ने रेडियो पर संदेश भेजा, "यह दिल मांगे मोर।" इस संदेश में आगे की रणनीति छिपी थी।
कैप्टन विक्रम बत्रा और उनकी कंपनी को दुर्गम इलाके में दुश्मन की मजबूत चौकियों को साफ कर पॉइंट 4875 तक पहुंचने का कार्य सौंपा गया। विक्रम बत्रा ने अद्भुत साहस और नेतृत्व का परिचय देते हुए इस जिम्मेदारी को स्वीकार किया। उन्होंने आमने-सामने की मुठभेड़ में 5 दुश्मन सैनिकों को बेहद नजदीक से मार गिराया, जबकि वे पहले से घायल थे। आगे बढ़ते हुए उन्होंने हैंड ग्रेनेड फेंके और दुश्मनों को खदेड़ दिया।
कठिन परिस्थितियों में भारतीय सेना ने पॉइंट 4875 पर झंडा फहरा दिया। हालांकि, इस ऑपरेशन में विक्रम बत्रा शहीद हो गए।
इन सभी अभियानों में कैप्टन विक्रम बत्रा का अदम्य साहस, नेतृत्व और बलिदान अमिट छाप छोड़ गया। मरणोपरांत भारत सरकार ने उन्हें 'परमवीर चक्र' से सम्मानित किया। उनकी याद में पॉइंट 4875 को बत्रा टॉप नाम दिया गया।