कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता पर नई चिंताएँ: क्या बूस्टर डोज भी कम कर रही हैं सुरक्षा?

कोविड-19 का प्रभाव और वैक्सीनेशन की स्थिति
नई दिल्ली। कोविड-19 का वैश्विक संकट 2020-21 में सभी के लिए एक चुनौती बन गया। हालांकि, समय के साथ इसका प्रभाव कम होता गया और अब यह बीमारी सामान्य फ्लू के समान हो गई है। नए वैरिएंट्स के कारण संक्रमण में थोड़ी वृद्धि होती है, लेकिन यह जल्दी ही नियंत्रित हो जाती है।
कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता पर सवाल
अब जब कोविड का खतरा काफी हद तक कम हो चुका है और लोग सामान्य जीवन जीने लगे हैं, एक नई बहस उठ रही है। क्या कोविड वैक्सीन वास्तव में उतनी प्रभावी थी, जितना बताया गया था? क्या ये टीके सुरक्षित थे?
दुनिया भर में करोड़ों लोगों को कोविड टीके लगाए गए, लेकिन कुछ महीनों में बूस्टर डोज की आवश्यकता महसूस हुई। स्वास्थ्य संस्थाओं ने यह स्वीकार किया है कि समय के साथ वैक्सीन की प्रभावशीलता में कमी आती है। हाल ही में एक अध्ययन में वैज्ञानिकों ने यह दावा किया है कि कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता वास्तव में कम है।
वैक्सीनेशन के बाद की स्थिति
‘कोविड के टीके उतने प्रभावी नहीं, जितना दावा किया गया था’
एक नए विश्लेषण में वैज्ञानिकों ने बताया है कि कोविड वैक्सीन की प्रभावशीलता अपेक्षा से कम है। 50 प्रतिशत टीकों का असर तेजी से कम होता देखा गया है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है कि अधिकांश जनसंख्या को कोविड टीके लगाए जा चुके हैं, जिससे पहले वर्ष में 1.44 करोड़ से अधिक मौतें रोकी गईं। हालांकि, जापानी वैज्ञानिकों के शोध से पता चलता है कि फाइजर और मॉडर्ना के एमआरएनए टीकों ने गंभीर बीमारियों को तो रोका, लेकिन प्रतिरक्षा सुरक्षा में तेजी से गिरावट आई है।
बूस्टर डोज के प्रभाव
बूस्टर शॉट्स के बाद भी कम होने लगी प्रभाविकता
वैज्ञानिकों ने 2500 से अधिक लोगों के एंटीबॉडी डेटा का अध्ययन किया। उन्होंने पाया कि बूस्टर डोज के नौ महीनों के भीतर लगभग आधे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता में तेजी से गिरावट आई। इस समूह में कोविड संक्रमण की दर भी अधिक थी। विशेषज्ञों ने इसे महत्वपूर्ण बताया और कहा कि लोगों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए व्यक्तिगत टीकाकरण रणनीतियों की आवश्यकता है।
एमआरएनए टीके की तकनीक
यह ध्यान देने योग्य है कि इन टीकों की तकनीक का विकास 2005 में हुआ था। मैसेंजर आरएनए (mRNA) वाले ये टीके कोशिकाओं को प्रोटीन बनाने का निर्देश देते हैं। पारंपरिक टीकों के विपरीत, ये कोशिकाओं को कोविड स्पाइक प्रोटीन का एक हानिरहित वर्जन बनाने का कोड देते हैं।
विशेषज्ञों की राय
क्या कहते हैं विशेषज्ञ?
साइंस ट्रांसलेशनल मेडिसिन रिपोर्ट में नागोया विश्वविद्यालय की टीम ने लिखा है कि बूस्टर टीकाकरण के बाद भी एंटीबॉडी का स्तर पर्याप्त नहीं है। ऐसे में संक्रमण का उच्च जोखिम हो सकता है। कोविड के अगले संक्रमण से बचाने के लिए अतिरिक्त बूस्टर खुराक या एंटीबॉडी थेरेपी की आवश्यकता हो सकती है।