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क्या पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक विकल्प में बदलाव आ रहा है? YCT-529 की सफलता की कहानी

YCT-529, एक नई हार्मोन-मुक्त पुरुष गर्भनिरोधक गोली, ने अपने पहले मानव सुरक्षा परीक्षण में सफलता हासिल की है। यह गोली पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक विकल्पों में एक महत्वपूर्ण बदलाव का संकेत देती है। सैन फ्रांसिस्को की योरचॉइस थेरेप्यूटिक्स द्वारा विकसित, YCT-529 का उद्देश्य पुरुषों के लिए एक सुविधाजनक और सुरक्षित गर्भनिरोधक विकल्प प्रदान करना है। इसके प्रभाव और कार्यप्रणाली पर शोध जारी है, जिससे यह उम्मीद की जा रही है कि भविष्य में पुरुष भी गर्भनिरोध की जिम्मेदारी को समान रूप से निभा सकेंगे।
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क्या पुरुषों के लिए गर्भनिरोधक विकल्प में बदलाव आ रहा है? YCT-529 की सफलता की कहानी

नई दिल्ली में गर्भनिरोधक विकल्पों में बदलाव


नई दिल्ली: लंबे समय से गर्भनिरोध की जिम्मेदारी महिलाओं पर रही है, जबकि पुरुषों के पास केवल कंडोम और नसबंदी जैसे सीमित विकल्प थे। अब, इस असंतुलन को बदलने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। हार्मोन-मुक्त पुरुष गर्भनिरोधक गोली YCT-529 ने अपने पहले मानव सुरक्षा परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है।


यह उपलब्धि पुरुषों के लिए सुरक्षित और आसान गर्भनिरोधक विकल्प विकसित करने के वैश्विक प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मोड़ मानी जा रही है। प्रारंभिक परिणामों से यह संकेत मिलता है कि भविष्य में पुरुष भी गर्भनिरोध की जिम्मेदारी को समान रूप से निभा सकते हैं।


YCT-529 का विकास

YCT-529 किसने विकसित की?


YCT-529 को सैन फ्रांसिस्को स्थित बायोटेक कंपनी योरचॉइस थेरेप्यूटिक्स द्वारा विकसित किया गया है। यह कंपनी विशेष रूप से गैर-हार्मोनल गर्भनिरोधक समाधानों पर ध्यान केंद्रित करती है। इस दवा का वैज्ञानिक शोध मिनेसोटा विश्वविद्यालय के कॉलेज ऑफ फार्मेसी के प्रोफेसर गुंडा जॉर्ज के नेतृत्व में किया गया, जिसमें कोलंबिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का भी योगदान रहा।


योरचॉइस थेरेप्यूटिक्स की स्थापना इसी अकादमिक शोध को व्यावहारिक पुरुष गर्भनिरोधक विकल्प में बदलने के उद्देश्य से की गई थी। कंपनी का लक्ष्य पुरुषों के लिए ऐसा मौखिक, प्रतिवर्ती और हार्मोन-मुक्त विकल्प प्रदान करना है, जो महिलाओं की गर्भनिरोधक गोली के समान सुविधाजनक हो।


YCT-529 की कार्यप्रणाली

YCT-529 वास्तव में क्या है?


YCT-529 एक मौखिक, गैर-हार्मोनल पुरुष गर्भनिरोधक गोली है, जिसे रोजाना लेने के लिए डिज़ाइन किया गया है। पहले के कई प्रयोगात्मक पुरुष गर्भनिरोधक टेस्टोस्टेरोन को दबाने पर आधारित थे, जिससे मूड में बदलाव, वजन बढ़ना और कामेच्छा में कमी जैसे दुष्प्रभाव देखे गए।


इसके विपरीत, YCT-529 पुरुष हार्मोन के स्तर को बदले बिना काम करती है। यह शरीर के एक जैविक मार्ग को लक्षित करती है जो सीधे शुक्राणु उत्पादन से जुड़ा है और मुख्य रूप से वृषण तक सीमित रहता है।


शुक्राणु उत्पादन पर प्रभाव

यह गोली कैसे काम करती है?


शुक्राणु उत्पादन के लिए रेटिनोइक एसिड आवश्यक होता है, जो विटामिन-A का एक मेटाबोलाइट है। यह वृषण में मौजूद रेटिनोइक एसिड रिसेप्टर अल्फा (RAR-α) से जुड़कर उन जीन को सक्रिय करता है, जो शुक्राणु निर्माण के लिए आवश्यक होते हैं।


YCT-529 इस रिसेप्टर को चुनिंदा रूप से अवरुद्ध कर देती है, जिससे रेटिनोइक एसिड का संकेत रुक जाता है और शुक्राणु उत्पादन शुरुआती चरण में ही ठप हो जाता है, जबकि टेस्टोस्टेरोन का स्तर सामान्य बना रहता है। कम्युनिकेशंस मेडिसिन में प्रकाशित शोध के अनुसार, इस प्रक्रिया से यौन इच्छा और यौन क्रिया पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता।


पशु अध्ययनों में यह भी पाया गया कि दवा बंद करने के बाद प्रजनन क्षमता वापस आ गई, जिससे संकेत मिलता है कि इसका प्रभाव प्रतिवर्ती है।


मानव सुरक्षा परीक्षण के परिणाम

मानव सुरक्षा परीक्षण में क्या सामने आया?


हाल ही में पूरा हुआ अध्ययन एक फेज-1ए क्लिनिकल ट्रायल था, जिसका उद्देश्य गर्भनिरोधक प्रभावशीलता नहीं, बल्कि दवा की सुरक्षा और सहनशीलता का आकलन करना था।


इस परीक्षण में 16 स्वस्थ पुरुष स्वयंसेवकों को YCT-529 या प्लेसीबो की अलग-अलग खुराक दी गई। शोधकर्ताओं के अनुसार, किसी भी प्रतिभागी में गंभीर दुष्प्रभाव नहीं देखे गए। टेस्टोस्टेरोन स्तर, अन्य प्रजनन हार्मोन, मनोदशा या यौन इच्छा में कोई चिकित्सकीय रूप से महत्वपूर्ण बदलाव दर्ज नहीं हुआ।


हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट किया है कि यह चरण यह साबित नहीं करता कि गोली गर्भधारण को प्रभावी रूप से रोक पाएगी या नहीं। इसके लिए लंबे और विस्तृत परीक्षणों की आवश्यकता होगी, जिनमें शुक्राणुओं की संख्या में निरंतर कमी को मापा जाएगा।


भविष्य की संभावनाएँ

आगे की राह


YCT-529 की शुरुआती सफलता ने यह उम्मीद जगाई है कि भविष्य में पुरुषों के लिए भी सुरक्षित और सुविधाजनक गर्भनिरोधक विकल्प उपलब्ध हो सकते हैं। यदि आगे के परीक्षण सफल होते हैं, तो यह खोज गर्भनिरोध की जिम्मेदारी को अधिक संतुलित बना सकती है।