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क्या है 'ट्रैवल डिस्मॉर्फिया' और कैसे इससे बचें? जानें नारायण मूर्ति की काम के घंटों पर राय

नारायण मूर्ति ने हाल ही में काम के घंटों और उत्पादकता पर अपने विचार साझा किए हैं, जिसमें उन्होंने भारतीय युवाओं को अधिक घंटे काम करने की सलाह दी है। इस बीच, 'ट्रैवल डिस्मॉर्फिया' नामक एक नई मानसिकता भी उभर रही है, जिसमें लोग यात्रा के अनुभवों की तुलना करते हैं और असंतोष का अनुभव करते हैं। क्या आप भी इस मानसिक दबाव का सामना कर रहे हैं? जानें इसके कारण और इससे बचने के उपाय इस लेख में।
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क्या है 'ट्रैवल डिस्मॉर्फिया' और कैसे इससे बचें? जानें नारायण मूर्ति की काम के घंटों पर राय

नारायण मूर्ति का काम के घंटों पर विचार


नई दिल्ली: इंफोसिस के सह-संस्थापक नारायण मूर्ति ने हाल ही में काम के घंटों और उत्पादकता पर अपने विचार साझा किए हैं। 79 वर्षीय मूर्ति ने एक साक्षात्कार में चीन की '9-9-6' वर्क कल्चर का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय युवाओं को भी अधिक समय तक काम करना चाहिए ताकि देश की प्रगति तेज हो सके।


70 घंटे काम करने की सलाह

राष्ट्र निर्माण के लिए 70 घंटे काम करें: मूर्ति ने पहले भी 2023 में भारतीयों को सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी। उन्होंने चीन की तेज़ आर्थिक प्रगति का हवाला देते हुए कहा कि लगातार मेहनत किसी भी देश की प्रगति में महत्वपूर्ण होती है।


ट्रैवल डिस्मॉर्फिया का बढ़ता प्रभाव

10 में से एक व्यक्ति मानसिक दबाव का अनुभव: एक नए अध्ययन के अनुसार, हर दस में से एक अमेरिकी 'ट्रैवल डिस्मॉर्फिया' का अनुभव करता है। यह स्थिति FOMO (फियर ऑफ मिसिंग आउट) से जुड़ी हुई है, जो सोशल मीडिया पर खूबसूरत स्थलों की तस्वीरों के कारण उत्पन्न होती है।


इस भावना का कारण

क्यों बढ़ रहा है यह भाव? 'ट्रैवल डिस्मॉर्फिया' का अनुभव उन लोगों में होता है जो खुद को दूसरों से कमतर समझते हैं। यह यात्रा से जुड़ी तुलना और असंतोष का परिणाम है।


संतोष की कमी

आधे से कम लोग संतुष्ट: एक सर्वेक्षण में पाया गया कि लगभग 2000 वयस्कों में से आधे से कम लोग अपनी जीवनभर की यात्राओं से संतुष्ट हैं। यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया का प्रभाव कितना गहरा है।


दबाव और खालीपन

दबाव, अंदर ही अंदर खालीपन पैदा कर रहा: विशेषज्ञों का मानना है कि सोशल मीडिया ने आत्म-मूल्यांकन की परिभाषा को बदल दिया है। लोग अब यह सोचते हैं कि यदि वे ट्रेंड में शामिल नहीं हैं, तो क्या वे मायने रखते हैं।


यात्रा का असली उद्देश्य

यात्रा का असली उद्देश्य क्या खो रहा है? यात्रा का उद्देश्य आनंद लेना होना चाहिए, न कि दूसरों को दिखाना। जब यात्रा का अनुभव तुलना पर आधारित हो जाता है, तो उसका असली मज़ा फीका पड़ जाता है।


ट्रैवल डिस्मॉर्फिया से बचने के उपाय

ट्रैवल डिस्मॉर्फिया से बचने का रास्ता: डिजिटल युग में 'किपिंग अप' की भावना से बचना मुश्किल है, लेकिन यह याद रखना जरूरी है कि यात्रा आपके अनुभव और आपकी यादों के लिए है। अगली बार यात्रा की योजना बनाते समय, अपने पसंद के अनुसार जाएँ, न कि दूसरों की अपेक्षाओं के अनुसार।