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क्या है 'ला नीना' और इसका भारत पर प्रभाव? जानें मौसम विज्ञान संगठन की चेतावनी

विश्व मौसम विज्ञान संगठन ने चेतावनी दी है कि 'ला नीना' की वापसी से भारत में मौसम और जलवायु पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषकर पंजाब और हरियाणा में बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो चुकी है। 'ला नीना' प्रशांत महासागर के जल का ठंडा होना है, जो मॉनसून को मजबूत करता है। इस लेख में जानें कि 'ला नीना' क्या है, इसके प्रभाव और भविष्यवाणियों के बारे में।
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क्या है 'ला नीना' और इसका भारत पर प्रभाव? जानें मौसम विज्ञान संगठन की चेतावनी

मौसम की चेतावनी: बाढ़ और 'ला नीना' का खतरा

WMO मौसम चेतावनी: देश के विभिन्न क्षेत्रों में भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई है, विशेषकर पंजाब और हरियाणा में। इस बीच, विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) ने चेतावनी जारी की है कि सितंबर में 'ला नीना' की वापसी हो सकती है, जिससे मौसम और जलवायु प्रणाली पर गंभीर प्रभाव पड़ सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे उत्तर भारत में सर्दियों में कड़ाके की ठंड की संभावना बढ़ जाएगी।


ला नीना का प्रभाव और उसके परिणाम

WMO के अनुसार, 'ला नीना' का प्रभाव सामान्य ठंड के साथ-साथ बारिश की तीव्रता को बढ़ाने वाला होता है। इसका सीधा असर कृषि, जल स्रोतों और सामान्य जीवन पर पड़ता है।


ला नीना क्या है?

ला नीना प्रशांत महासागर के जल का ठंडा होना है, जो भारत में मॉनसून को मजबूत करता है और भारी बारिश का कारण बनता है। इसके विपरीत, 'अल नीनो' समुद्र के जल को गर्म करता है और मॉनसून को कमजोर करता है। WMO ने बताया कि 'ला नीना' के अस्थायी शीतलन प्रभाव के बावजूद, वैश्विक तापमान अभी भी औसत से अधिक रहने की संभावना है। ये प्राकृतिक जलवायु घटनाएं मानव-जनित जलवायु परिवर्तन के संदर्भ में हो रही हैं, जिससे वैश्विक तापमान में वृद्धि और मौसम की चरम स्थितियों की तीव्रता बढ़ रही है।


तटस्थ स्थिति का प्रभाव

मार्च 2025 से भूमध्यरेखीय प्रशांत क्षेत्र में समुद्र की सतह का तापमान न तो अल नीनो और न ही ला नीना के प्रभाव में था। विशेषज्ञों के अनुसार, सितंबर से यह स्थिति धीरे-धीरे ला नीना का रूप ले सकती है। सितंबर-नवंबर 2025 में ईएनएसओ-तटस्थ स्थिति 45% और ला नीना की संभावना 55% आंकी गई है।


अक्टूबर से दिसंबर में 'ला नीना' की संभावना

विश्व मौसम संगठन ने बताया कि अक्टूबर से दिसंबर 2025 के बीच ला नीना की संभावना लगभग 60% है। WMO महासचिव सेलेस्टे साउलो ने कहा कि अल नीनो और ला नीना के पूर्वानुमान और उनके प्रभाव से कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और परिवहन जैसे क्षेत्रों में लाखों डॉलर की बचत हो सकती है। जब इन पूर्वानुमानों का सही उपयोग किया जाता है, तो हजारों लोगों की जान बचाई जा सकती है।


वैश्विक जलवायु पर अन्य प्रभाव

ईएनएसओ के अलावा, उत्तरी अटलांटिक दोलन, आर्कटिक दोलन और हिंद महासागर द्विध्रुव जैसी जलवायु प्रणालियों को भी मौसम के पूर्वानुमानों में ध्यान में रखा जाता है। नवीनतम अपडेट के अनुसार, सितंबर से नवंबर तक उत्तरी गोलार्ध के अधिकांश हिस्सों और दक्षिणी गोलार्ध के बड़े हिस्सों में सामान्य से अधिक तापमान की संभावना जताई गई है।