गंगा एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की नई व्यवस्था: जानें क्या है खास

गंगा एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की प्रक्रिया
उत्तर प्रदेश समाचार: गंगा एक्सप्रेसवे पर टोल वसूली की प्रक्रिया अब स्पष्ट हो गई है। टोल की राशि उस टोल बूथ पर निर्भर करेगी, जहां से वाहन प्रवेश करता है और जहां से बाहर निकलता है। इस एक्सप्रेसवे का पूरा होना अगस्त 2025 तक संभव है, और वाहन 120 किमी/घंटा की गति से चल सकेंगे। इससे प्रयागराज से मेरठ की यात्रा केवल छह से सात घंटे में पूरी की जा सकेगी।
38 किमी तक का टोल क्षेत्र
38 किमी तक का हिस्सा
यदि कोई वाहन संभल जिले के बहजोई स्थित लहरावन गांव से एक्सप्रेसवे पर प्रवेश करता है और खिरनी पर बने इंटरचेंजिंग गेट से बाहर निकलता है, तो उसे लगभग 24 किलोमीटर की दूरी पर टोल देना होगा। इस व्यवस्था में टोल टैक्स केवल यात्रा की दूरी पर निर्भर करेगा। गंगा एक्सप्रेसवे का यह खंड लगभग 38 किमी लंबा है, जिसमें दो प्रमुख इंटरचेंज स्थान प्रस्तावित हैं।
एक्सप्रेसवे का विस्तार
आठ लेन तक बढ़ाया जाएगा एक्सप्रेसवे
उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीईडा) ने बताया कि गंगा एक्सप्रेसवे का निर्माण दिसंबर 2024 तक पूरा होना था, लेकिन ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान के कारण इसमें देरी हुई है। अब यह परियोजना अगस्त 2025 तक पूरी होने की उम्मीद है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस मार्ग का निरीक्षण किया और समय पर कार्य पूरा करने का निर्देश दिया। प्रारंभ में यह छह लेन का होगा, लेकिन बाद में इसे आठ लेन तक बढ़ाया जाएगा।
निर्माण कार्य की प्रगति
90 प्रतिशत से अधिक काम पूरा
गंगा एक्सप्रेसवे पर 15 रैंप प्लाजा और दो मुख्य टोल प्लाजा बनाए जाएंगे। यात्रियों की सुविधा के लिए भोजन कोर्ट, शौचालय और विश्रामगृह भी उपलब्ध होंगे। इस एक्सप्रेसवे का निर्माण लगभग 90 प्रतिशत पूरा हो चुका है, केवल फिनिशिंग का काम बाकी है।
टोल दरों का निर्धारण
120 किमी की गति सीमा, बस-ट्रक से अलग टोल रेट
गंगा एक्सप्रेसवे पर टोल दरें विभिन्न प्रकार के वाहनों के लिए अलग-अलग होंगी। इस राजमार्ग की अधिकतम गति 120 किमी/घंटा होगी। सुरक्षा के लिए हर 30 किलोमीटर पर पुलिस सहायता चौकियां और सीसीटीवी निगरानी की व्यवस्था की जाएगी।