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गढ़ी माई मंदिर: नेपाल की अनोखी धार्मिक परंपरा

गढ़ी माई मंदिर, नेपाल के गोरखा जिले में स्थित एक अनोखा शक्तिपीठ है, जो अपनी विशेष परंपराओं के लिए प्रसिद्ध है। दशहरा के दौरान यहां तलवारों और पशु बलि के साथ मां शक्ति की पूजा की जाती है। इस मंदिर की शस्त्र पूजा की परंपरा, गोरखा सैनिकों की वीरता से जुड़ी है। हर पांच साल में होने वाला विशेष महोत्सव हजारों भक्तों को आकर्षित करता है, लेकिन पशु बलि की परंपरा पर विवाद भी उठता है। जानें इस मंदिर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्वता के बारे में।
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गढ़ी माई मंदिर: नेपाल की अनोखी धार्मिक परंपरा

गढ़ी माई मंदिर की विशेषताएँ

गढ़ी माई मंदिर: नेपाल की पवित्र भूमि पर कई शक्तिपीठ हैं, लेकिन गोरखा जिले का गढ़ी माई मंदिर (जिसे मानसदेवी मंदिर भी कहा जाता है) अपनी अनोखी परंपराओं के लिए जाना जाता है। दशहरा, जिसे नेपाल में दशैं के नाम से जाना जाता है, के अवसर पर यहां तलवारों और पशु बलि के साथ मां शक्ति की पूजा की जाती है। यह परंपरा नेपाल की योद्धा संस्कृति और शक्ति साधना का अनूठा संगम है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है।


शस्त्र पूजा की विशेष परंपरा

शस्त्र पूजा की अनोखी रीत

गढ़ी माई मंदिर में दशैं के अवसर पर शस्त्र पूजा का विशेष महत्व है। विशेष रूप से तलवार और खड्ग को मां के चरणों में अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इससे साहस, शक्ति और विजय की प्राप्ति होती है। यह परंपरा गोरखा सैनिकों की वीरता की गाथाओं से भी जुड़ी है, जो इस क्षेत्र की पहचान रही है। मंदिर का यह रिवाज योद्धा संस्कृति को जीवंत बनाए रखता है।


दशैं और विशेष महोत्सव

दशैं और पांच साल में एक महोत्सव

दशैं के दौरान गढ़ी माई मंदिर में हजारों भक्त आते हैं और पशु बलि अर्पित की जाती है। भक्तों का मानना है कि मां शक्ति को रक्त चढ़ाने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। हर पांच साल में होने वाला विशेष महोत्सव और भी खास होता है, जिसमें हजारों भैंस, बकरे, मुर्गे और कबूतर बलि के लिए चढ़ाए जाते हैं। इस दौरान मंदिर परिसर में खून की नदियां बहने जैसा दृश्य देखने को मिलता है, जो इसे सनसनीखेज बनाता है।


विवाद और कानूनी पहल

विवाद और कानूनी पहल

पशु बलि की परंपरा पर विवाद भी उठता रहा है। 2015 में नेपाल के सर्वोच्च न्यायालय ने गढ़ी माई मेला में पशु बलि पर रोक लगाने का आदेश दिया था, लेकिन 2019 के महोत्सव में लाखों जानवरों की बलि दी गई, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि आदेश का पूरी तरह पालन नहीं हुआ। भक्त इसे धार्मिक और सांस्कृतिक परंपरा का हिस्सा मानते हैं, जबकि पशु अधिकार कार्यकर्ता इसे क्रूरता मानते हैं।


भक्ति और उत्सव का माहौल

भक्ति और उत्सव का माहौल

दशैं और विशेष महोत्सव के दौरान गोरखा जिला उत्सव के रंग में रंग जाता है। मंदिर में शस्त्रों की कतार, बलि की वेदी और मां के जयकारों से गूंजता माहौल भक्तों को भक्ति और ऊर्जा से भर देता है। गढ़ी माई मंदिर केवल पूजा स्थल नहीं है, बल्कि नेपाल की सांस्कृतिक और धार्मिक जड़ों का प्रतीक है। यह शक्ति, साहस और बलिदान की परंपराओं को दर्शाता है, साथ ही आधुनिक समय में धार्मिक आस्था और पशु अधिकारों के बीच विवाद का केंद्र भी है।