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गुरुग्राम में पुलिस कांस्टेबल की आत्महत्या: पारिवारिक बहिष्कार का मामला

गुरुग्राम में एक पुलिस कांस्टेबल, जगबीर सिंह, ने पारिवारिक बहिष्कार के कारण आत्महत्या कर ली। यह घटना कैबिनेट मंत्री के सरकारी बंगले पर हुई। जगबीर का भतीजा चार महीने पहले एक लड़की को भगाकर ले गया था, जिसके बाद गांव वालों ने उसके परिवार का बहिष्कार कर दिया। जगबीर ने इस स्थिति से परेशान होकर आत्महत्या की। जानें इस दुखद घटना के पीछे की पूरी कहानी और उसके प्रभाव।
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गुरुग्राम में पुलिस कांस्टेबल की आत्महत्या: पारिवारिक बहिष्कार का मामला

पारिवारिक तनाव के कारण आत्महत्या


गुरुग्राम: हरियाणा के गुरुग्राम में एक पुलिस कांस्टेबल ने आत्महत्या कर ली। यह घटना कैबिनेट मंत्री राव नरबीर के सरकारी बंगले पर हुई। मंगलवार की सुबह, सहकर्मियों ने उसे बेहोशी की हालत में पाया और तुरंत पुलिस को सूचित किया। उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। मृतक की पहचान झज्जर जिले के भूरावास गांव के निवासी जगबीर सिंह के रूप में हुई।


जगबीर सिंह ने सेना से रिटायर होने के बाद पुलिस सेवा में शामिल हुए थे। जानकारी के अनुसार, उसके भतीजे ने चार महीने पहले अपने ही गौत्र की एक लड़की को भगा लिया था, जिसके कारण गांव वालों ने जगबीर के परिवार का बहिष्कार कर दिया था। इस स्थिति से जगबीर काफी परेशान था।


भतीजे के कृत्य से परिवार का बहिष्कार


गांव के सरपंच जयभगवान ने बताया कि जगबीर के तीन भाई हैं। चार महीने पहले उसके भतीजे ने एक लड़की को भगाया था, जिसके बाद लड़की के परिवार ने 15 सितंबर को पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। पुलिस ने मामले की जांच शुरू की और दोनों पक्षों को थाने बुलाकर बयान लिए।


समाज से बहिष्कार का असर


सरपंच ने कहा कि पंचायतों के बाद भी जब दोनों वापस नहीं आए, तो ग्रामीणों ने जगबीर के परिवार का बहिष्कार कर दिया। गांव वालों ने उनके साथ बोलचाल और आना-जाना बंद कर दिया।


जगबीर ने मांगी माफी


जगबीर ने अपने रिश्तेदारों से मिलने के बाद गांव में जाकर लोगों से माफी मांगी। उसने कहा कि इस मामले से उसका कोई संबंध नहीं है। हालांकि, साल्हावास थाना के एसएचओ हरेश कुमार ने बताया कि बहिष्कार का कोई औपचारिक मामला सामने नहीं आया है।


नाम बदलने का आरोप


इस बीच, एक व्यक्ति ने जगबीर के खिलाफ शिकायत की कि उसका असली नाम दयानंद है और उसने अपने भाई के नाम पर आर्मी में नौकरी हासिल की थी। थाना प्रभारी ने 20 सितंबर को जगबीर को बुलाया, जहां उसने अपने नाम की पुष्टि की।


डॉक्यूमेंट की मांग


जगबीर ने बताया कि पहले उसका नाम दयानंद था, जिसे उसने बाद में बदलकर जगबीर रखा। थाना प्रभारी ने उससे संबंधित डॉक्यूमेंट की मांग की, जिसे जगबीर ने जमा करने का आश्वासन दिया।


शव का पोस्टमार्टम


सिविल लाइन थाना के एसएचओ कृष्ण ने बताया कि यह घटना रात दो बजे की थी। सुबह पुलिस को सूचना मिली और शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।