गुर्दे की सेहत: क्रोनिक किडनी रोग का बढ़ता खतरा और इसके लक्षण
गुर्दे का महत्व और क्रोनिक किडनी रोग
गुर्दे हमारे शरीर के महत्वपूर्ण अंग हैं, जो रक्त को शुद्ध करने, विषाक्त पदार्थों और अतिरिक्त तरल को बाहर निकालने का कार्य करते हैं। ये रक्तचाप को नियंत्रित करने और खनिज संतुलन बनाए रखने में भी सहायक होते हैं। जब गुर्दे ठीक से कार्य नहीं करते, तो शरीर में विषाक्त पदार्थों का जमाव होने लगता है, जिसे क्रोनिक किडनी रोग (CKD) कहा जाता है।
क्रोनिक किडनी रोग का बढ़ता प्रकोप
इस बीमारी को 'साइलेंट किलर' कहा जाता है, क्योंकि इसके लक्षण कई वर्षों तक प्रकट नहीं होते। हाल ही में एक अध्ययन में यह सामने आया है कि भारत में CKD के रोगियों की संख्या तेजी से बढ़ रही है।
वाशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मेट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (IHME) की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में लगभग 13.8 करोड़ लोग CKD से प्रभावित हैं, जो कि चीन के बाद दुनिया में दूसरी सबसे बड़ी संख्या है।
CKD के लक्षण और कारण
CKD के सामान्य लक्षणों में थकान, मतली, भूख में कमी, पैरों में सूजन, और पेशाब में बदलाव शामिल हैं।
इस बीमारी के मुख्य कारणों में टाइप 1 और 2 डायबिटीज, उच्च रक्तचाप, गुर्दे की सूजन, और आनुवंशिक कारक शामिल हैं।
CKD का जोखिम और इसके प्रभाव
धूम्रपान, मोटापा, और बढ़ती उम्र CKD के जोखिम को बढ़ाते हैं। यदि समय पर इसका इलाज नहीं किया गया, तो यह गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।
लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार, CKD अब हृदय रोग से भी जुड़ा हुआ है, जिससे हृदय संबंधी मौतों का खतरा बढ़ता है।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. भरत शाह, जो मुंबई के ग्लेनीगल्स अस्पताल में नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक हैं, का कहना है कि भारत में CKD के मामलों में वृद्धि चिंताजनक है।
वे मानते हैं कि स्वस्थ खानपान के प्रति जागरूकता बढ़ाने और रोकथाम पर ध्यान देने की आवश्यकता है।
