गुर्दे के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए 5 सरल आदतें

गुर्दे की बीमारियों का बढ़ता खतरा
भारत में गुर्दे की बीमारियाँ तेजी से बढ़ती जा रही हैं, जो न केवल बुजुर्गों बल्कि युवाओं को भी प्रभावित कर रही हैं। अस्वास्थ्यकर खानपान, गतिहीन जीवनशैली, मधुमेह, उच्च रक्तचाप और जागरूकता की कमी जैसे कारक गुर्दे की समस्याओं को बढ़ा रहे हैं। हालांकि, कुछ सरल आदतों को अपनाकर गुर्दे के स्वास्थ्य को बेहतर बनाया जा सकता है।मुंबई के ज़िनोवा शाल्बी अस्पताल की आहार विशेषज्ञ डॉ. जिनाल पटेल ने गुर्दे के स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए कुछ महत्वपूर्ण सुझाव साझा किए हैं। इस लेख में, हम उन पांच प्रभावशाली आदतों पर चर्चा करेंगे जिन्हें हर भारतीय को अपने गुर्दों की सेहत के लिए अपनाना चाहिए।
गुर्दे के स्वास्थ्य पर ध्यान देना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना अत्यंत आवश्यक है। गुर्दे शरीर के अपशिष्ट को छानते हैं, तरल पदार्थों का संतुलन बनाए रखते हैं और रक्तचाप को नियंत्रित करते हैं। वर्तमान में, भारत गुर्दे की बीमारियों की एक 'खामोश महामारी' का सामना कर रहा है।
इस समस्या का मुख्य कारण अनियंत्रित मधुमेह, उच्च रक्तचाप, मोटापे की बढ़ती दर और दवाओं का अनुचित उपयोग है, जो समय के साथ गुर्दे के कार्य को प्रभावित कर सकता है। गुर्दे की कई बीमारियाँ हैं, जैसे क्रोनिक किडनी डिजीज (सीकेडी), जो अपरिवर्तनीय क्षति का कारण बनती है। एक्यूट किडनी इंजरी (एकेआई) का मतलब है गुर्दे के कार्य का अचानक नुकसान, जो अक्सर निर्जलीकरण, संक्रमण या दवाओं के कारण होता है।