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गोवर्धन पूजा 2025: अन्नकूट के स्वास्थ्य लाभ और धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा 2025 के अवसर पर अन्नकूट का महत्व और इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानें। यह पारंपरिक व्यंजन न केवल भगवान कृष्ण को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यधिक लाभकारी है। जानें कैसे अन्नकूट सर्दी-जुकाम से बचाता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
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गोवर्धन पूजा 2025: अन्नकूट के स्वास्थ्य लाभ और धार्मिक महत्व

गोवर्धन पूजा का महत्व


गोवर्धन पूजा 2025: दिवाली के उत्सव के बाद, गोवर्धन पूजा विशेष रूप से मथुरा और गोवर्धन में श्रद्धा के साथ मनाई जाती है। इस दिन भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग अर्पित किया जाता है, जो विभिन्न मौसमी सब्जियों और अनाजों से तैयार किया गया एक विशेष व्यंजन है। यह पारंपरिक व्यंजन न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी है।


अन्नकूट का अर्थ और सामग्री

अन्नकूट का अर्थ है 'भोजन का पहाड़', जिसमें बाजरे की खिचड़ी, कढ़ी, पूरी और मौसमी सब्जियों की करी शामिल होती है। कई परिवारों में, लोग बाजरे की खिचड़ी में हरी पत्तेदार सब्जियां मिलाकर एक पौष्टिक और स्वादिष्ट भोजन तैयार करते हैं। यह व्यंजन भगवान कृष्ण को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है और यह स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत लाभकारी है।


इंफेक्शन से सुरक्षा

इंफेक्शन से बचाता है: कार्तिक माह में, जब मौसम में बदलाव होता है, तो सर्दी, खांसी, बुखार और त्वचा के इंफेक्शन जैसी बीमारियां बढ़ जाती हैं। ऐसे में अन्नकूट फाइबर और विटामिन से भरपूर होने के कारण शरीर को गर्म रखने और इंफेक्शन से बचाने में मदद करता है।


रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि

रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है: बाजरे की खिचड़ी प्रोटीन से समृद्ध और प्राकृतिक रूप से गर्म होती है। यह सर्दी से बचाने और रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करने में सहायक होती है। इसके साथ परोसी जाने वाली कढ़ी कैल्शियम की मात्रा बढ़ाती है, लेकिन कफ की समस्या वाले लोगों को इसे सीमित मात्रा में लेना चाहिए।


औषधीय गुण

औषधि की तरह काम करती है: अन्नकूट में शामिल सब्जियां जैसे पालक, मेथी, मूली, गाजर, मटर और बैंगन विटामिन और फाइबर से भरपूर होती हैं। ये शरीर को आवश्यक पोषक तत्व प्रदान करती हैं और मौसमी बीमारियों से बचाती हैं। इस प्रकार, अन्नकूट केवल धार्मिक भोजन नहीं है, बल्कि यह स्वास्थ्य के लिए एक प्राकृतिक औषधि की तरह कार्य करता है।


प्रचुरता का प्रतीक

प्रचुरता का प्रतीक: इस भोजन से जुड़ी मान्यता है कि भगवान कृष्ण को अन्नकूट अर्पित करने से घर में कभी भी भोजन या सब्जियों की कमी नहीं होती। इसलिए, भक्त इसे हर साल प्रेम और श्रद्धा के साथ बनाते हैं।