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गोवा के स्वास्थ्य मंत्री का विवाद: क्या है सच्चाई?

गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे एक विवादास्पद वीडियो के कारण चर्चा में हैं, जिसमें उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधिकारी को फटकार लगाते हुए देखा गया। इस घटना के बाद, चिकित्सा बिरादरी और राजनीतिक विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया दी, जिसके चलते मंत्री को माफी मांगनी पड़ी। उन्होंने अपनी मां की बीमारी का हवाला देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना था। इस मामले में मुख्यमंत्री ने हस्तक्षेप कर डॉक्टर के निलंबन को रद्द किया। जानें पूरी कहानी में क्या हुआ।
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गोवा के स्वास्थ्य मंत्री का विवाद: क्या है सच्चाई?

गोवा के स्वास्थ्य मंत्री का विवादास्पद वीडियो

गोवा के स्वास्थ्य मंत्री विश्वजीत राणे एक बार फिर विवादों में फंस गए हैं। हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें उन्हें गोवा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (GMCH) के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रूद्रेश कुट्टीकर को सार्वजनिक रूप से फटकार लगाते हुए देखा जा सकता है। इस वीडियो के प्रकाश में आने के बाद, देशभर के चिकित्सा समुदाय और राजनीतिक विपक्ष ने तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की, जिसके परिणामस्वरूप मंत्री को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी पड़ी।


मंत्री का स्पष्टीकरण

मंत्री ने अपनी सफाई में कहा कि उनका उद्देश्य केवल मरीजों के अधिकारों की रक्षा करना था। उन्होंने यह भी साझा किया कि उनकी मां कैंसर से पीड़ित हैं, जिससे उन्हें मरीजों के दर्द का अनुभव है। हालांकि, उन्होंने डॉक्टर के साथ अपने व्यवहार के लिए खेद व्यक्त किया।


'नीयत सही थी, शब्द गलत थे' - मंत्री की सफाई

इंडिया टुडे टीवी से बातचीत करते हुए, विश्वजीत राणे ने कहा, 'मैं इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और चीफ मेडिकल ऑफिसर से माफी मांगता हूं। मैं मरीजों के दर्द को समझता हूं और उनके लिए खड़ा हुआ था। मेरी मां खुद कैंसर पीड़िता हैं, इसलिए मैंने उनकी तकलीफों को करीब से देखा है। मेरा मकसद राजनीति करना नहीं था।'


IMA की तीखी प्रतिक्रिया और जांच की मांग

गोवा शाखा के इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने मंत्री के व्यवहार को अपमानजनक करार दिया और इसे डॉक्टरों की गरिमा के खिलाफ बताया। एसोसिएशन ने डॉ. कुट्टीकर के निलंबन को तुरंत रद्द करने की मांग की और इस मामले में निष्पक्ष जांच की आवश्यकता पर जोर दिया।


मुख्यमंत्री का हस्तक्षेप

IMA और विपक्षी दलों के दबाव के चलते, मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत को मामले में हस्तक्षेप करना पड़ा। उन्होंने डॉ. रूद्रेश कुट्टीकर के निलंबन को रद्द कर दिया और आश्वासन दिया कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच की जाएगी।


राजनीतिक दलों की प्रतिक्रिया

विपक्षी दलों ने राणे के व्यवहार को तानाशाही करार दिया और मुख्यमंत्री से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने कहा कि मंत्री का यह व्यवहार जनता की चुनी हुई सरकार के नैतिक दायित्वों के खिलाफ है।