ग्रीन टी के अधिक सेवन के नुकसान: जानें क्या हो सकते हैं दुष्प्रभाव

ग्रीन टी का बढ़ता चलन
आजकल, लोग ग्रीन टी को एक स्वस्थ पेय के रूप में अपनी डाइट में शामिल कर रहे हैं। इसे मेटाबॉलिज्म को सुधारने, वजन घटाने और शरीर को डिटॉक्स करने के लिए लाभकारी माना जाता है। यही कारण है कि कई लोग सुबह की चाय या कॉफी की जगह ग्रीन टी का सेवन करने लगे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि यदि इसे रोजाना अधिक मात्रा में पिया जाए, तो यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकता है?
ग्रीन टी के नुकसान
ग्रीन टी में कैफीन और अन्य तत्व सीमित मात्रा में फायदेमंद होते हैं, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इस लेख में, हम आपको रोजाना ग्रीन टी पीने के संभावित नुकसान के बारे में जानकारी देंगे।
आयरन की कमी
जो लोग पहले से आयरन की कमी से ग्रस्त हैं, उनके लिए ग्रीन टी हानिकारक हो सकती है। यह शरीर में आयरन के अवशोषण को कम कर देता है, जिससे भोजन से मिलने वाला आयरन रक्त तक नहीं पहुंच पाता। इसके परिणामस्वरूप एनीमिया जैसी समस्याएं हो सकती हैं, जो लंबे समय तक कमजोरी, थकान और बालों के झड़ने का कारण बन सकती हैं।
बेचैनी और अनिद्रा
ग्रीन टी में मौजूद कैफीन ऊर्जा प्रदान करने के साथ-साथ घबराहट, बेचैनी और नींद की कमी का कारण बन सकता है। यदि आप दिन में कई कप ग्रीन टी का सेवन करते हैं, तो यह नर्वस सिस्टम पर प्रभाव डाल सकता है और दिल की धड़कन को तेज कर सकता है। विशेष रूप से रात में ग्रीन टी पीने से नींद का पैटर्न प्रभावित हो सकता है।
हड्डियों पर प्रभाव
अधिक मात्रा में ग्रीन टी का सेवन कैल्शियम की कमी का कारण बन सकता है। इसमें कुछ यौगिक होते हैं जो शरीर से कैल्शियम को बाहर निकालने की प्रक्रिया को तेज कर देते हैं। लंबे समय तक ऐसा होने पर हड्डियों में कमजोरी आ सकती है और ऑस्टियोपोरोसिस जैसी समस्याएं बढ़ सकती हैं।
किडनी और लिवर पर प्रभाव
हालांकि ग्रीन टी को डिटॉक्स ड्रिंक माना जाता है, लेकिन इसका अत्यधिक सेवन लिवर और किडनी पर दबाव डाल सकता है। जब इसमें मौजूद तत्व शरीर में जरूरत से ज्यादा जमा होते हैं, तो यह लिवर की सूजन और किडनी के कार्य को प्रभावित कर सकते हैं। जिन लोगों को पहले से किडनी या लिवर की समस्या है, उन्हें डॉक्टर की सलाह पर ही ग्रीन टी का सेवन करना चाहिए।
ब्लड थिनर और ब्लड प्रेशर की दवाएं
ग्रीन टी का एक महत्वपूर्ण दुष्प्रभाव यह है कि यह दवाओं के प्रभाव को कम कर सकती है, विशेषकर उन लोगों के लिए जो ब्लड थिनर या ब्लड प्रेशर नियंत्रित करने वाली दवाएं लेते हैं। इससे अचानक ब्लीडिंग, क्लॉटिंग या ब्लड प्रेशर में असामान्य बदलाव का खतरा बढ़ सकता है।