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ग्रेटर नोएडा में उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: बीमा कंपनी को 2.15 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश

ग्रेटर नोएडा में स्वास्थ्य बीमा से जुड़े एक मामले में उपभोक्ता आयोग ने एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी को 2.15 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है। आयोग ने कहा कि बीमा कंपनी पुरानी बीमारी का हवाला देकर इलाज के खर्च से मुकर नहीं सकती। यह मामला सुरेंद्र नामक एक उपभोक्ता से जुड़ा है, जिन्होंने अपनी पॉलिसी का नवीनीकरण समय पर कराया था। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आयोग के निर्णय के पीछे की वजह।
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ग्रेटर नोएडा में उपभोक्ता आयोग का बड़ा फैसला: बीमा कंपनी को 2.15 लाख रुपये का भुगतान करने का आदेश

स्वास्थ्य बीमा से जुड़ी राहत की खबर

ग्रेटर नोएडा समाचार: स्वास्थ्य बीमा का लाभ लेने वाले ग्राहकों के लिए एक सकारात्मक समाचार सामने आया है। जिला उपभोक्ता आयोग ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि बीमा कंपनियां पुरानी बीमारियों का हवाला देकर इलाज के खर्च से मुकर नहीं सकतीं। आयोग ने एचडीएफसी एर्गो हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को निर्देश दिया है कि वह उपभोक्ता को 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज सहित 2.15 लाख रुपये की राशि 30 दिनों के भीतर अदा करे। इसके साथ ही 2,000 रुपये वाद व्यय भी देने का आदेश दिया गया है।


पॉलिसी का नवीनीकरण और इलाज का खर्च

पॉलिसी रही चालू, नहीं मिला लाभ
यह मामला ग्रेटर नोएडा के खैरपुर गांव के निवासी सुरेंद्र से संबंधित है। उन्होंने 8 दिसंबर 2018 को एचडीएफसी एर्गो से स्वास्थ्य बीमा पॉलिसी ली थी और हर साल इसका नवीनीकरण भी कराया। अगस्त 2020 में बीमा कंपनी ने इलाज का खर्च वहन किया। लेकिन नवंबर 2021 में अचानक तबीयत बिगड़ने पर उन्हें नोएडा के नियो अस्पताल में भर्ती होना पड़ा, जहां ब्रेन स्ट्रोक की पुष्टि हुई।


क्लेम खारिज होने की स्थिति

क्लेम किया खारिज
बीमा धारक ने सभी आवश्यक दस्तावेज और बिल कंपनी को सौंपे, लेकिन बीमा कंपनी ने क्लेम खारिज कर दिया और पॉलिसी को निरस्त कर दिया। मरीज को इलाज के दौरान 2.15 लाख रुपये खुद खर्च करने पड़े।


बीमा कंपनी का स्पष्टीकरण

बीमा कंपनी ने दी सफाई
बीमा कंपनी ने आयोग में अपनी सफाई में कहा कि मरीज को पहले से ही डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियाँ थीं, जिसकी जानकारी उसने बीमा लेते समय नहीं दी। कंपनी के अनुसार, यह पॉलिसी ऑनलाइन ली गई थी, इसलिए सही जानकारी देना ग्राहक की जिम्मेदारी थी। इसी आधार पर उन्होंने क्लेम को रद्द कर दिया।


आयोग का निर्णय

आयोग ने नहीं मानी दलील
मामले की सुनवाई कर रहे आयोग के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य अंजु शर्मा ने बीमा कंपनी की दलीलों को अस्वीकार करते हुए कहा कि पॉलिसी कई वर्षों से सक्रिय थी। पहले के इलाज में क्लेम का भुगतान किया गया था, इसलिए बाद में इलाज के खर्च को पुरानी बीमारी का बहाना बनाकर नकारना अनुचित है। आयोग ने यह भी कहा कि बीमा कंपनियों को अपनी जिम्मेदारी से भागने का अधिकार नहीं है।