ग्लियोमा: ब्रेन ट्यूमर के प्रकार, लक्षण और उपचार के तरीके

ग्लियोमा क्या है?
ग्लियोमा एक प्रकार का ब्रेन ट्यूमर है, जो धीरे-धीरे रीढ़ की हड्डी में फैलता है और अंततः मस्तिष्क तक पहुंच जाता है। यह ट्यूमर मस्तिष्क के न्यूरॉन्स को सुरक्षा और समर्थन देने वाली कोशिकाओं से उत्पन्न होता है। जब इन कोशिकाओं की वृद्धि असामान्य रूप से बढ़ जाती है, तो यह ट्यूमर का रूप ले लेती हैं। यह ट्यूमर रीढ़ की हड्डी या मस्तिष्क पर दबाव डाल सकता है। ग्लियोमा के कई प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ धीरे-धीरे बढ़ते हैं और कैंसर नहीं होते, जबकि अन्य कैंसरग्रस्त होते हैं। कैंसर ट्यूमर मस्तिष्क के ऊतकों पर आक्रमण करते हैं। इस लेख में, हम ग्लियोमा के विभिन्न प्रकारों, लक्षणों और इससे बचने के उपायों पर चर्चा करेंगे।
ग्लियोमा के प्रकार
एस्ट्रोसाइटोमा
यह ट्यूमर ग्लियन कोशिकाओं में से एस्ट्रोसाइट्स से बनता है और इसकी वृद्धि धीमी या तेज हो सकती है। यह बच्चों में ब्रेन कैंसर का एक सामान्य प्रकार है।
ओलिगोडेंड्रोग्लियोमा
यह मस्तिष्क में न्यूरॉन्स को इंसुलेट करता है और रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क के आसपास फैलता है। यह वयस्कों में बच्चों की तुलना में अधिक सामान्य होता है।
किसको अधिक खतरा
हालांकि ग्लियोमा के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाया है, लेकिन कुछ कारक इस गंभीर बीमारी के विकास में योगदान कर सकते हैं।
अनुवांशिक कारण
यदि परिवार में किसी को पहले ग्लियोमा हुआ है, तो यह अन्य सदस्यों को भी प्रभावित कर सकता है।
रेडिएशन एक्सपोजर
बार-बार सिर पर रेडिएशन के संपर्क में आने से भी यह बीमारी हो सकती है।
बढ़ती उम्र
ग्लियोमा का खतरा आमतौर पर 45 से 70 वर्ष की आयु के लोगों में अधिक होता है, और यह पुरुषों में थोड़ा अधिक सामान्य है।
ग्लियोमा के लक्षण
शरीर का संतुलन बनाए रखने में कठिनाई, लगातार सिरदर्द, विशेषकर सुबह के समय, देखने में समस्या, बोलने या समझने में कठिनाई, याददाश्त में कमी, और मिर्गी के दौरे पड़ना।
इलाज
इस ट्यूमर को हटाने के लिए सर्जरी की जा सकती है। सर्जरी के बाद, बचे हुए कैंसर कोशिकाओं को नष्ट करने के लिए थेरेपी का सहारा लिया जाता है। कीमोथेरेपी भी एक विकल्प है। इम्यूनोथेरेपी कैंसर के इलाज की एक नई विधि है, जो काफी हद तक सफल मानी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि इस गंभीर बीमारी का इलाज तभी संभव है जब इसे समय पर पहचाना जाए।
भारत में ग्लियोमा का रिस्क
भारत में हर साल लगभग 40,000 से 50,000 ब्रेन ट्यूमर के मामले सामने आते हैं, जिनमें से एक बड़ी संख्या ग्लियोमा की होती है। ग्लियोब्लास्टोमा के मामले सबसे खतरनाक होते हैं, जिनमें 5 साल का सर्वाइवल रेट केवल 5% होता है।