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चंडीगढ़ में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का बड़ा स्कैम उजागर

पंजाब में विजिलेंस ब्यूरो ने एक बड़े फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस घोटाले का पर्दाफाश किया है। जांच में 51 में से 23 लाइसेंस जाली पाए गए, जिसके बाद चार कर्मचारियों को गिरफ्तार किया गया। यह कार्रवाई भ्रष्टाचार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान का हिस्सा है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और विजिलेंस की सफलता की कहानी।
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चंडीगढ़ में फर्जी ड्राइविंग लाइसेंस का बड़ा स्कैम उजागर

विजिलेंस टीम की जांच में सामने आया बड़ा घोटाला


चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ एक सख्त अभियान शुरू किया है। इस पहल के तहत, विजिलेंस ब्यूरो की टीमें नियमित रूप से छापे मारकर भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों को सलाखों के पीछे भेजने का कार्य कर रही हैं। हाल ही में, गुरदासपुर के रीजनल ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी (आरटीए) और महूआना स्थित स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ ऑटोमोबाइल एंड ड्राइविंग स्किल सेंटर में एक बड़ा भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है।


चार कर्मचारियों की गिरफ्तारी


यहां प्राइवेट एजेंटों के माध्यम से भारी रिश्वत लेकर फर्जी हैवी ड्राइविंग लाइसेंस जारी किए जा रहे थे। यह तब उजागर हुआ जब एसआईएडीएस सेंटर महूआना द्वारा जारी 51 ड्राइविंग ट्रेनिंग सर्टिफिकेट में से 23 जाली पाए गए। विजिलेंस ने इस मामले की जांच करते हुए एक बड़े भ्रष्टाचार रैकेट का पर्दाफाश किया है। इस मामले में सात आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया गया है, जिनमें से चार को गिरफ्तार कर लिया गया है।


विजिलेंस की सफलता की कहानी


राज्य विजिलेंस ब्यूरो के प्रवक्ता ने बताया कि पठानकोट के एक व्यक्ति की शिकायत पर कार्रवाई करते हुए आरटीए, गुरदासपुर में डाटा एंट्री ऑपरेटर प्रतिभा शर्मा के खिलाफ जांच शुरू की गई थी। अब तक की जांच के आधार पर, विजिलेंस ब्यूरो ने अमृतसर रेंज में मामला दर्ज किया है।


इस मामले में चार मुख्य आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें गुरदासपुर के सुखदेव सिंह, अमित कुमार, जगप्रीत सिंह और राकेश कुमार शामिल हैं। अन्य आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी जारी है।